यूजीसी ने छात्रों के लिए जारी की चेतावनी

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने हाल ही में छात्रों और अभिभावकों को चेतावनी दी थी कि दो विश्वविद्यालय गंभीर रूप से नियमों का उल्लंघन करते हुए पाठ्यक्रम चला रहे हैं, जिनमें से एक को फर्जी विश्वविद्यालय बताया गया। आयोग ने कहा है कि छात्र और अभिभावक किसी भी संस्थान में दाखिला लेने से पहले उसकी मान्यता की जांच जरूर करें। केरल की ये यूनिवर्सिटी फर्जी करार यूजीसी ने बताया कि जमिअत-उत-तिब्बुन्नबवी ट्रस्ट के तहत चलने वाली International Islamic University of Prophetic Medicine का नाम पहले से ही यूजीसी की फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची में दर्ज है, फिर भी यह संस्थान अपना नाम इस्तेमाल कर रहा है। आयोग को जांच में पता चला है कि यह यूनिवर्सिटी केरल के कुंडमंगलम-वानाड रोड पर एचपी पेट्रोल पंप के पास एक बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर संचालित हो रही है। यूजीसी ने कहा कि केरल के कोझिकोड (Calicut) में स्थित यह यूनिवर्सिटी न तो आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त है और न ही इसे किसी भी प्रकार की डिग्री देने का अधिकार है। आयोग ने याद दिलाया कि “कोई भी संस्था, चाहे वह किसी कॉरपोरेट निकाय के रूप में कार्य करे या न करे, यदि वह केंद्र, प्रांतीय या राज्य कानून के तहत स्थापित या अधिनियमित विश्वविद्यालय नहीं है, तो वह अपने नाम में ‘University’ शब्द का उपयोग नहीं कर सकती।” यूजीसी ने स्पष्ट चेतावनी जारी करते हुए कहा, “उपरोक्त स्वयंभू संस्थान में प्रवेश न लें। ऐसे संस्थानों में दाखिला लेने से छात्रों का करियर खतरे में पड़ सकता है।” बेंगलुरु के संस्थान को भी दी गई थी सख्त हिदायत, समीक्षा के बाद रद्द किया गया नोटिस आयोग ने यह भी बताया कि “Emversity” नाम की एक संस्था अपने संबद्ध केंद्रों के साथ मिलकर निजी विश्वविद्यालयों और डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटीज के साथ साझेदारी या समझौते के माध्यम से फ्रैंचाइजी (franchise) मॉडल पर डिग्री कार्यक्रम चला रही है। यूजीसी ने बताया कि भारत में निजी विश्वविद्यालयों को आयोग की पूर्व अनुमति के बिना ऑफ-कैंपस सेंटर, स्टडी सेंटर या एक्सटेंशन सेंटर स्थापित करने की अनुमति नहीं है, भले ही वे उसी राज्य के भीतर क्यों न हों। साथ ही, निजी और डीम्ड विश्वविद्यालय किसी अन्य कॉलेज या संस्थान को अपने साथ संबद्ध कर डिग्री, डिप्लोमा या अन्य शैक्षणिक योग्यता प्रदान करने का अधिकार नहीं रखते। ऐसे अवैध केंद्रों या संबद्ध संस्थानों के माध्यम से दी गई कोई भी डिग्री या योग्यता अमान्य मानी जाएगी और उसे उच्च शिक्षा या नौकरी में मान्यता नहीं मिलेगी। हालांकि, एमवर्सिटी प्रकरण के संबंध में ताजा जानकारी के मुताबिक संस्थान की ओर से यूजीसी को एक विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया गया, जिसमें संस्थान ने संचालन मॉडल और उद्योग-कौशल भागीदार के रूप में उसकी भूमिका को स्पष्ट किया था। स्पष्टीकरण मिलने के बाद यूजीसी ने समीक्षा की और 13 अक्तूबर तक संबंधित सार्वजनिक सूचना को स्थगित कर दिया। इस घटनाक्रम पर एक औपचारिक स्पष्टीकरण एमवर्सिटी की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया है। दाखिला लेने से पहले करें मान्यता की जांच आयोग ने यह भी दोहराया कि इस प्रकार की गतिविधियां यूजीसी अधिनियम का उल्लंघन हैं, क्योंकि अधिनियम के तहत किसी भी विश्वविद्यालय को फ्रैंचाइजी व्यवस्था के जरिए डिग्री कार्यक्रम चलाने की अनुमति नहीं है। यूजीसी ने छात्रों और अभिभावकों से अपील की है कि वे किसी भी संस्थान में प्रवेश लेने से पहले उसकी वैधता और मान्यता की पूरी तरह जांच कर लें।
E-Paper