4 जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद राहुल गांधी ने की कांग्रेस नेताओं की बैठक, SC ने तलब की जस्टिस लोया की PM रिपोर्ट

 

नई दिल्ली।। सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस किये जाने के बाद शुक्रवार की शाम राहुल गांधी के आवास पर कांग्रेस के सीनियर लीडर्स की मीटिंग हुई। इस मीटिंग में सलमान खुर्शीद, मनीष तिवारी और पी. चिदंबरम समेत कई कांग्रेसी नेता शामिल हुये।बैठक के बाद कांग्रेस ने एक प्रेस-कॉन्फ्रेंस की जिसमें पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ”सीनियर जजों ने मीडिया को दिये और चीफ जस्टिस को लिखे लेटर में जो मुद्दे उठाये, वो परेशान करने वाले हैं। जस्टिस लोया की मौत की जांच सीनियर जज से करानी चाहिये।”

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गौरतलब है कि पहली बार सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में जजों ने मीडिया से बात कर CJI के कामकाज के तरीकों पर ही सवाल खड़े कर दिये। राहुल गांधी ने कहा, ”चार जजों ने जो प्वाइंट उठाये वो बेहद जरूरी हैं। उन्होंने लोकतंत्र को खतरा बताया है, जस्टिस लोया की मौत का मामला उठा। इस तरह की बातें पहले कभी नहीं हुयी हैं। देश के सभी लोग न्याय में विश्वास करते हैं, सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा करते हैं। इसलिये बहुत गंभीर मामला है।”

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वहीं, पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ”जो कदम आज जजों ने उठाया है, उसका आगे असर होगा। CBI जज लोया की मौत पर उनका परिवार सवाल उठा चुका है। कांग्रेस इस मामले की जांच सीनियर जज से कराने की मांग करती है।”

CBI के स्पेशल जज बीएच लोया की मृत्यु 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में हुई थी। तब वे अपने कलीग की बेटी के शादी में सम्मिलित होने जा रहे थे। बताया जाता है कि लोया को दिल का दौरा पड़ा था।

पिछले साल नवंबर में हुई लोया की मौत के हालात पर उनकी बहन ने शक जाहिर करते हुए सवाल उठाये थे। इसके तार सोहराबुद्दीन एनकाउंटर से जोड़े गये। इसके बाद यह केस मीडिया की सुर्खियां बना। दावा यह भी है कि परिवार को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की भी कोशिश की गई।

इस केस की जांच के लिये ‘बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन’ के वकील अहमद आबिदी ने 8 जनवरी को हाईकोर्ट में एक PIL दायर की। अब दूसरी याचिका महाराष्ट्र के जर्नलिस्ट बीआर लोन और कांग्रेस के नेता तहसीन पूनावाला ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है।

SC की बेंच ने शुक्रवार को इस केस में सुनवाई की। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को जस्टिस लोया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट 15 जनवरी तक कोर्ट को सौंपने का आदेश दिया। वहीँ जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस एमएम शांतानागौदर ने कहा कि यह मामला बेहद सीरियस है।

कांग्रेस प्रवक्ता पूनावाला ने दावा किया है कि कुछ सीनियर वकीलों ने उन पर याचिका वापस लेने के लिये दबाव बनाया। उन्होंने कहा कि मुझे न्यापालिका पर पूरा भरोसा है।

SC के जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन भीमराव लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “किसी भी देश के कानून के इतिहास ये बहुत बड़ा दिन है। SC का एडमिनिस्ट्रेशन का काम ठीक से नहीं हो रहा है। हमने ये प्रेस कॉन्‍फ्रेंस इसलिये की ताकि हमें कोई ये न कहे हमने आत्मा बेच दी। SC में बहुत कुछ ऐसा हुआ, जो नहीं होना चाहिये था। हमें लगा, हमारी देश के प्रति जवाबदेही है और हमने CJI को मनाने की कोशिश की, लेकिन हमारी कोशिश नाकाम रही। अगर संस्थान को नहीं बचाया गया, लोकतंत्र खत्‍म हो जाएगा।”

जजों ने CJI को लेटर में लिखा है कि ऐसे कई उदाहरण हैं जिनके देश और ज्युडिशियरी पर दूरगामी असर हुये हैं। चीफ जस्टिसेज ने कई केसों को बिना किसी तार्किक आधार के ‘अपनी पसंद’ के हिसाब से बेंचों को सौंपा है। ऐसी बातों को हर कीमत पर रोका जाना चाहिये।

उन्होंने यह भी लिखा कि ज्युडिशियरी के सामने असहज स्थिति पैदा ना हो, इसलिये वे अभी इसका डिटेल नहीं दे रहे हैं, लेकिन इसे समझा जाना चाहिये कि ऐसे मनमाने ढंग से काम करने से इंस्टीट्यूशन (सुप्रीम कोर्ट) की इमेज कुछ हद तक धूमिल हुई है।

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