दिल्ली HC ने रेमडेसिविर खरीदने और वितरित करने के मामले में जांच के दिए आदेश

उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राजधानी में नेताओं द्वारा कोरोना संक्रमण के इलाज में व्याप्त तौर पर इस्तेमाल होने वाली दवा रेमडेसिविर खरीदने और वितरित करने के मामले की जांच करने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में नेताओं द्वारा कोरोना संक्रमण के इलाज में व्याप्त तौर पर इस्तेमाल होने वाली दवा रेमडेसिविर खरीदने और बांटने के मामले में मुकदमा दर्ज करने और इसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग की गई है। 

जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ ने हालांकि फिलहाल मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश देने से इनकार कर दिया है। पीठ ने इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस को करने का आदेश दिया है। पीठ ने कहा कि ‘इस अदालत के अधिकार क्षेत्र में आने वाली घटनाओं को देखते हुए हम याचिकाकर्ता को अपनी शिकायतें दिल्ली पुलिस आयुक्त के समक्ष पेश करने का निर्देश देते हैं। साथ ही कहा कि पुलिस आयुक्त इसकी जांच कराने के बाद शिकायतकर्ता को इसका जवाब देंगे। पीठ ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि यदि जांच के दौरान किसी अपराध का पता चलता है तो दिल्ली प्राथमिकी दर्ज कर समुचित कार्रवाई करे। उच्च न्यायालय ने इसके साथ ही दिल्ली पुलिस को एक सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होगी।

न्यायालय ने यह आदेश गैर सरकारी संगठन हृदृय फाउंडेशन के अध्यक्ष और राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज दीपक सिंह की याचिका पर दिया है। याचिका में कहा कि नेता ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स कानून के तहत आवश्यक अनुमति के बगैर बड़ी मात्रा में दवाइयां कैसे खरीद पा रहे हैं, जबकि आम जनता को यह दवा नहीं मिल रही है। सिंह ने कहा कि अपने राजनीतिक लाभ के लिए किसी को दवाइयां देने से इनकार करना बहुत गंभीर प्रकृति का अपराध है और इससे देशभर में कोरोना के मरीजों को समय से दवा नहीं मिलने के चलते परेशानियों, यहां तक की जान चली जा रही है। याचिकाकर्ता सिंह की ओर से अधिवक्ता विराग गुप्ता ने पीठ को बताया कि कई नेता बड़े पैमाने पर रेमडेसिविर, फैबी फ्लू जैसी अहम दवाइयों की जमाखोरी करने और उनके वितरण में शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक शक्तियों का फायदा उठा रहे हैं और मेडिकल माफिया को संरक्षण दे रहे हैं। याचिका में इस मामले में मुकदमा दर्ज करने और इसकी सीबीआई से जांच कराने के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1980 के तहत कोरोना संक्रमण दवाओं की काला बाजारी में शामिल लोगों को गिरफ्तार करने का आदेश देने की मांग की है। अधिवक्ता गुप्ता ने पीठ को बताया कि कोरोना में कारगर साबित हो रहे रेमडेसिविर के लिए मरीज/ उसके परिजन दर-दर भटक रहे हैं और उन्हें नहीं मिल रहा है तो नेताओं को यह दवाई कैसे मिल रही है। याचिका में दवाओं की जमाखोरी तथा अवैध वितरण में शामिल पाए जाने वाले सांसदों तथा विधायकों को अयोग्य करार देने की मांग की है।

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