बाईचुंग भूटिया ने भारत की फुटबॉल संस्कृति पर उठाये सवाल

नई दिल्ली: फीफा भले ही भारत को ‘स्लीपिंग जायंट्स’ और ‘पैशनेट जायंट्स’ की उपमा देता हो लेकिन दर्शकों की संख्या से देश में फुटबॉल प्रेम की जानकारी मिल जाती है. फीफा विश्व कप में खेलना भारत के लिये दूर का सपना है लेकिन खेल के दिग्गजों जैसे बाईचुंग भूटिया और आई एम विजयन की बातों पर भरोसा किया जाये तो इस परिदृश्य के निकट भविष्य में बदलने की संभावना नहीं के बराबर है क्योंकि दश में ‘फुटबॉल संस्कृति’ की बेहद कमी है. चार साल में होने वाले फीफा के विश्व कप से पहले यहां वहां फुटबॉल के बारे में चर्चा तो होती है लेकिन इसमें खेलने की उम्मीद करना बेतुका लगता है.

भूटिया देश के लिये 15 वर्षों तक रिकॉर्ड 104 मैच खेल चुके हैं. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि ऐसा बरकरार रहेगा क्योंकि ऐसा तब तक नहीं होगा जब तक हमारी खेल संस्कृति और फुटबॉल संस्कृति मजबूत नहीं होगी’’ लियोनल मेस्सी की अर्जेंटीनी टीम और स्टार सुसज्जित बायर्न म्यूनिख की टीम के अभ्यास मैच के लिये आने से निश्चित रूप से पूरे देश में एक लहर बनी थी लेकिन इन्हें अपवाद ही कहा जा सकता है. लेकिन 41 वर्षीय भूटिया को लगता है कि क्रिकेट के प्रति जुनूनी देश में इस ‘वैश्विक खेल’ को बढ़ावा देने के लिये काफी कुछ किये जाने की जरूरत है.

फीफा को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाले देश में फुटबॉल की संभावनायें दिखती हैं और पिछले साल अंडर -17 विश्व कप की सफल मेजबानी के बाद यह भरोसा पुख्ता भी हुआ. पिछले दो वर्षों में टीम के प्रभावशाली परिणामों से भारतीय टीम अभी फीफा रैंकिंग में 97 वें नंबर पर है लेकिन सिर्फ रैंकिंग से सही प्रगति का अंदाजा नहीं होता. भूटिया ने कहा, ‘‘यह निश्चित रूप से शानदार है कि हमने हाल के दिनों में अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन अगर आप विश्व कप की बात करोगे तो यह बहुत अलग चीज है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन फुटबॉल संस्कृति तैयार करना सबसे ज्यादा जरूरी है.’’ भूटिया ने कहा, ‘‘प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बुनियादी ढांचा अब काफी बेहतर है और युवा विकास योजनायें भी शुरू हो रही हैं. लेकिन संस्कृति ऐसी चीज है जिसकी अब भी कमी है.’’ वहीं भूटिया से पहले भारतीय फुटबॉल के स्टार रहे विजयन ने कहा, ‘‘इस बात से मैं सहमत हूं कि फुटबॉल संस्कृति की कमी है. मुझे लगता है कि क्लबों और संघों को विदेश के शीर्ष क्लबों के साथ जुड़ने के बारे में सोचना चाहिए. जब मैं जुड़ने की बात कह रहा हूं तो यह सिर्फ दिखाने के लिये नहीं बल्कि यह जुड़ाव गंभीर होना चाहिए.’’

उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के तौर पर बार्सीलोना अकादमी से हमारे उभरते हुए फुटबॉलरों को काफी मदद मिलेगी. अगर आप विश्व कप क्वालीफाई करने की बात करते हो तो यह इस समय निश्चित रूप से कहना काफी मुश्किल होगा कि हम कब खेल पायेंगे लेकिन उम्मीद करते हैं कि हम वहां पहुंचेंगे, अगर 10 साल में नहीं तो फिर 20-25 साल में तो ऐसा होगा.’’

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