जवानों पर जानवरों जैसा सलूक, कंपनी कमांडर की चिट्ठी से हड़कंप

झारखंड में विधानसभा चुनाव कराने आए सुरक्षा बलों की आपसी फायरिंग में तीन अफसरों और एक जवान की मौत ने जहां पूरे सिक्‍यूरिटी सिस्‍टम को हिला दिया है, वहीं एक बार फिर से देश में अर्धसैनिक बलों के जवानों के स्‍ट्रेस मैनेजमेंट को लेकर बहस छिड़ गई है। छुट्टी और खाने-पीने की मामूली बातों पर अपने ही सा‍थियों के खून के प्‍यासे बन रहे सुरक्षाकर्मियों ने बीते दिन एक-पर-एक दो वारदातों को अंजाम देकर सनसनी मचा दी। रांची के खेलगांव सीआरपीएफ कैंप में पहले छत्‍तीसगढ़ आर्म्‍ड फोर्सेज के जवान ने छुट्टी नहीं मिलने पर अपने कंपनी कंमाडर को गोली मार दी और फिर खुद भी गोली मारकर आत्‍महत्‍या कर ली। वहीं बोकारो के गोमिया में खाने-पीने से शुरू हुए विवाद में जवान और अफसरों ने एक-दूसरे पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। इसमें मौके पर ही दो अफसरों की मौत हो गई, जबकि चार जवान गंभीर रूप से घायल हो गए।

सुरक्षा बल के जवानों से हो रहा जानवरों जैसा सलूक

ताजा मामला सीआरपीएफ 222 बटालियन के कंपनी कमांडर से जुड़ा है। जिसमें उसने सीआरपीएफ के दिल्ली मुख्यालय व राज्य अथॉरिटी को चिट्ठी लिखकर अर्धसैनिक बल के जवानों से जानवरों जैसा सलूक किए जाने की बात कही है। चुनाव कराने झारखंड आए सीआरपीएफ 222 बटालियन के कंपनी कमांडर ने सीआरपीएफ के दिल्ली मुख्यालय व राज्य अथॉरिटी से लिखित रूप में शिकायत की है। बताया गया है कि 07 दिसंबर को उनके बटालियन के जवान दूसरे फेज का चुनाव संपन्न कराकर लौटे तो उन्हें स्थानीय सहायता व पानी तक नहीं मिली। उन्हें वाटर कैनन से पीने व खाना बनाने के लिए पानी दिया जा रहा है, जिसका उपयोग आग बुझाने वाले दमकल में किया जाता है। इसे अमानवीय व्‍यवहार बताया गया है।

पत्र में कंपनी कमांडर ने लिखा है कि जवान रविवार को 200 किलोमीटर की दूरी तय कर रांची पहुंचे, जिसमें 17 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा था। कंपनी कमांडर ने बताया है कि वे सीआरपीएफ की गोल्फ कंपनी को कमांड कर रहे हैं, जिसमें सीआरपीएफ के 100 ट्रूप्स हैं। जब वे रविवार की रात जवानों के साथ खेलगांव कांप्लेक्स पहुंचे, तो वहां खाने व पीने की पानी की व्यवस्था नहीं थी।

एसपी सिटी से शिकायत करने पर वाटर कैनन मिला। उस वाटर कैनन का पानी आग बुझाने आदि में किया जाता है। ट्रूप्स के पास इस पानी के उपयोग के अलावा कोई विकल्प नहीं था। वे भूखे थे, भोजन में विलंब हो गया था। वे केवल खिचड़ी ही बना पाए और आधी रात में खिचड़ी खाई। जवानों के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक किया गया। उनकी गरिमा का भी कोई ख्याल नहीं किया गया।

एडीजी ऑपरेशन मुरारी लाल मीणा ने बताया

जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार रविवार की रात 11 बजे चुनाव ड्यूटी से अचानक 100 से अधिक सीआरपीएफ ट्रूप खेलगांव पहुंचे। उन्हें रातभर के लिए ही खेलगांव में रुकना था। यह पूर्व प्रस्तावित प्लान नहीं था, जिसके चलते अव्यवस्था हुई, जो नहीं होनी चाहिए। अचानक बड़ी संख्या में जवानों के पहुंचने से यह समस्या हुई थी। करीब 275 कंपनी सुरक्षा बल राज्य में चुनाव कराने आए हैं, सभी विभिन्न जगहों पर प्रतिनियुक्त हैं, जहां उन्हें खाने-पीने से लेकर रहने तक की व्यवस्था की गई है।

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