AI सुपर पावर बनने के लिए अरबों डॉलर खर्च कर रहा चीन, अमेरिका को सीधी टक्कर दे रहा ड्रैगन
पिछली जुलाई में जब ओपनएआइ ने अपनी आधुनिक एआइ सिस्टम्स तक चीन की पहुंच को अवरुद्ध कर दिया तो उसके कोडर्स के समक्ष परेशानी खड़ी हो गई। वे अब ओपन-सोर्स सिस्टम्स पर निर्भर थे।
चीन एआइ सुपर पावर बनने के लिए अरबों डालर खर्च कर रहा
इसका मतलब मुख्यत: मेटा निर्मित एक अन्य लोकप्रिय अमेरिकी उत्पाद की ओर रुख करना था। लेकिन उसके बाद के एक वर्ष में उन्नत एआइ विकसित करने की वैश्विक दौड़ में बड़ा बदलाव आया है। चीन एआइ सुपर पावर बनने के लिए अरबों डालर खर्च कर रहा है।
इसका नतीजा है कि डीपसीक और अलीबाबा जैसी चीनी कंपनियों ने अपने खुद के ओपन-सोर्स एआइ सिस्टम तैयार किए हैं जो दुनिया के शीर्ष प्रदर्शनकर्ताओं में शुमार हैं।
चीन तेजी से अमेरिका को टक्कर दे रहा है
मानव मस्तिष्क को टक्कर देने वाली तकनीकें बनाने की होड़ में चीन तेजी से अमेरिका को टक्कर दे रहा है। लेकिन यह कोई संयोग नहीं है। चीनी सरकार ने एआइ सुपर पावर बनने के लिए संसाधनों पर एक दशक तक खर्च किया है। इसके लिए उसने उसी रणनीति का उपयोग किया है जिसका उसने इलेक्ट्रिक वाहन और सौर ऊर्जा उद्योगों पर प्रभुत्व के लिए किया था।
थिंक टैंक रैंड कार्प के सहायक शोधकर्ता काइल चैन ने कहा, ”चीन चिप्स और डाटा सेंटर से लेकर ऊर्जा तक पूरे एआइ तकनीक क्षेत्र में सरकारी मदद दे रहा है।”
इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरियों में अग्रणी बना चीन
पिछले 10 वर्षों से बीजिंग चीनी कंपनियों को उच्च तकनीक वाले उद्योगों में विनिर्माण क्षमताएं विकसित करने के लिए प्रेरित कर रहा है, जिनके लिए देश पहले आयात पर निर्भर था। इसी दृष्टिकोण ने चीन को दुनिया के एक-तिहाई निर्मित वस्तुओं का निर्माता और इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरियों व सौर पैनलों के क्षेत्र में अग्रणी बनने में मदद की है।
सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए 100 अरब डॉलर खर्च किए
इसे ही उन्नत एआइ सिस्टम्स के आवश्यक निर्माण खंडों: कंप्यूटिंग पॉवर, कुशल इंजीनियरों और डाटा संसाधनों पर भी लागू किया गया है। चीन सरकार ने 2014 से सेमीकंडक्टर उद्योग को विकसित करने के लिए लगभग 100 अरब डॉलर खर्च किए हैं। सरकार ने अप्रैल में कहा था कि वह युवा एआइ स्टार्टअप्स के लिए 8.5 अरब डालर आवंटित करेगी।