देश में पहली बार वेंटीलेटर पर वेव थेरैपी, फेफड़े में है लाइलाज मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की बीमारी

 क्या आपने कभी सुना या देखा है कि इंटेग्रेटेड केयर यूनिट (आइसीयू यानी वेंटीलेटर) पर रखे गए मरीज को सामान्य स्थिति में लाने के लिए वेव थेरेपी का सहारा लिया जाए, शायद नहीं।

लेकिन देश में पहली बार एक ऐसा दुर्लभ मामला सामने आया है, जिसमें मरीज को बचाने के लिए आइसीयू से उठाकर वेव थेरैपी दिलाने के लिए नासिक से करीब 1300 किलोमीटर दूर एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस (एएलएस) के जरिये 25 जनवरी को नोएडा लाया गया।

दरअसल, मरीज के फेफड़े में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नामक लाइलाज बीमारी है। अब सेक्टर 19 में एक वेव क्योर सेंटर पर मरीज को वेंटीलेटर पर ही तीन दिन से लगातार वेव थेरैपी दी जा रही है। एक माह से आइसीयू में रहे मरीज का शुक्रवार को पहली बार करीब एक घंटे के लिए वेंटीलेटर भी हटाया गया था। मरीज को एएलएस एंबुलेंस में लाइफ सपोर्ट दे रहे एलोपैथी के डॉक्टरों ने काफी सुधार महसूस किया है।

मूल रूप से महाराष्ट्र में नासिक के भगवती नगर( डिंडोरी ) निवासी 21 वर्षीय मरीज प्रदन्या के फेफड़े में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नामक लाइलाज बीमारी है। इसका पता चलने के बाद नासिक के डॉक्टरों ने इसका कोई इलाज मौजूद न होने की बात कहकर आगे का उपचार दे सकने में असमर्थता जाहिर कर दी थी।

प्रदन्या के भाई अनिकेत ने बताया कि इसके बाद इंटरनेट पर डॉ. एसके पाठक के बारे में पता चला और अन्य डॉक्टरों से सलाह ली फिर यहां वेव थेरैपी दिलाने लाया हूं। उन्होंने बताया कि गत 26-27 दिसंबर को प्रदन्या को सांस लेने में भारी तकलीफ होने के बाद नासिक के एक बड़े अस्पताल में भर्ती कराया था।

तब से वह लगातार वेंटीलेटर पर हैं। आइसीयू में करीब एक माह तक भर्ती रहीं प्रदन्या को उच्च स्तरीय इलाज मुहैया कराने के बाद भी जब कोई फायदा नहीं हुआ तो डॉक्टर हैरान रह गए। गहन जांच के बाद पता चला मरीज के फेफड़े में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी है।

 यहां उन्हें सेक्टर 30 के एनएमसी अस्पताल के आइसीयू में रखा गया है। वेव थेरैपी के लिए एएलएस एंबुलेंस में रोजाना दिन भर सेक्टर 19 में ही प्रदन्या को रखा जाता है। डॉ. एसके पाठक औषधीय पौधों की वाहक कोशिकाओं से मैग्नेट चार्ज कर प्रभावित अंगों में तरंगे प्रवाहित कराने की नई तकनीकि इजाद करके पहले भी कई मरीजों को सामान्य स्थिति में ला चुके हैं।

प्रदन्या के भाई अनिकेत का कहना है कि ‘छह माह पहले प्रदन्या को गिरने से चोट लगी थी, लेकिन न्यूरो सर्जनों से इलाज के बाद ठीक हो गई थी। हालांकि खाना-पीना उसने कम कर दिया था। एक माह पहले सांस लेने में दिक्कत हुई तो नासिक में भर्ती कराया। इसके पहले जांच में किसी बीमारी का पता नहीं चला था। वेव थेरैपी से तीन दिनों में सुधार देखने को मिल रहा है।’

पाठक वेव क्योर सेंटर में डॉ. एसके पाठक का कहना है कि इस बीमारी में कोशिकाएं मृत होने लगती हैं, जिसे ङ्क्षजदा करने का कोई तरीका दुनिया में मौजूद नहीं है। हम औषधीय पौधों की वाहक कोशिकाओं के जरिये पहले मैग्नेट को चार्ज करते हैं। फिर तरंगों को प्रभावित अंगों में प्रवाहित कराते हैं इससे मृत कोशिकाएं ङ्क्षजदा होने लगती है और रक्त प्रवाह पुन: सुचारू हो जाता है। उम्मीद है जल्द ही मरीज का वेंटीलेटर हट जाएगा और मरीज सामान्य होने लगेगा।

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