ओलंपिक में रजत पदक से राजनीति के मैदान तक : राज्यवर्धन सिंह राठौर

राजस्थान की जयपुर ग्रामीण सीट से चुनाव मैदान में भाजपा उम्मीदवार कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर राजनीति में आने से पहले पेशेवर शूटर थे. उन्होंने 2004 ओलंपिक खेलों के डबल ट्रैप इवेंट में रजत पदक जीता था. एक दशक से अधिक के करियर में, उन्होंने राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में कई पदक जीते.

राज्यवर्धन सिंह राठौर को 2005 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. सेना और शूटिंग से उनकी सेवानिवृत्ति के बाद, वे 2014 में भाजपा के सांसद बने. नवंबर 2014 में, सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री बने. राठौर को 2017 में युवा मामलों और खेल मंत्रालय के लिए स्वतंत्र प्रभार के साथ कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया गया.

राज्यवर्धन सिंह राठौर की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी सेना से

राज्यवर्धन सिंह राठौर ने अपने करियर की शुरुआत सेना से की. राजस्थान के जैसलमेर में 29 जनवरी, 1970 को जन्में राठौर की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी सेना से है. उनके पिता कर्नल लक्ष्मण सिंह भी सेना में थे. राठौर रणजी ट्रॉफी के लिए मध्य प्रदेश टीम में भी चुने गए थे.

ओलंपिक में सिल्वर मेडल, कॉमनवेल्थ में गोल्ड

राष्ट्रीय स्तर और दूसरे शूटिंग चैम्पियनशिप में राठौर लगातार कमाल कर रहे थे लेकिन पूरी दुनिया ने उनके बारे में सबसे पहले 2004 में जाना. एथेंस में हुए ओलंपिक खेलों में राठौर ने पुरुषों के डबल ट्रैप इवेंट में सिल्वर मेडल जीता. फिर सिडनी में वर्ल्ड शूटिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता. इससे पहले राठौर 2002 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीत चुके थे. 2006 में मेलबर्न कॉमनवेल्थ गेम्स और कायरो में हुए वर्ल्ड शूटिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड जीत राठौर ने पूरी दुनिया में भारतीय निशानेबाजों को एक अलग पहचान दिलाई.

राठौड़ को मिल चुके हैं कई सम्मान

राज्यवर्धन सिंह राठौर को राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया है. वह 2006 के कॉमनवेल्थ गेम्स और 2008 में बीजिंग ओलंपिक खेलों में भारत के ध्वजवाहक भी रहे. राठौर ने 2002 से 2006 के बीच डबल ट्रैप इवेंट में 25 इंटरनेशनल मेडल जीते.

राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव के संपन्न होने के बाद आम चुनावों के लिए दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और बीजेपी मिशन 2019 के लिए राज्य में टारगेट-25 की रणनीति पर काम कर रही हैं. लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद बदले सियासी समीकरण में बीजेपी के लिए अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने में मुश्किल आ सकती है जिसमें उसने राज्य की सभी 25 सीटों पर जीत का परचम लहराया था. राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं.

मोदी लहर पर सवार पिछला विधानसभा चुनाव भारी बहुमत से जीतने वाली बीजेपी ने लोकसभा चुनाव की सभी सीटों पर कब्जा जमा लिया था. लेकिन 2018 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने अलवर और अजमेर सीट हथिया ली. हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राज्य में वापसी की है तो वहीं बीजेपी विपक्ष में बैठने को मजबूर है. लिहाजा 2014 में राज्य में अपने चरम पर रही बीजेपी के लिए राज्य में 2019 की राह उतनी आसान नहीं है. जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट पर भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं.

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