
आधी अधूरी तैयारी के साथ सरकार ने आयुष्मान भारत योजना लॉन्च कर दी है। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। जिला अस्पताल मुरार में इम्प्लांट के लिए रेट कांट्रेक्ट नहीं है। अस्थि रोग विभाग में ऑपरेशन कराने वाले मरीजों को जेब से पैसे खर्च कर इम्प्लांट खरीदना पड़ रहे हैं। यही नहीं एंटीबायोटिक इंजेक्शन तक मरीज को खुद मंगाना पड़ रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि खर्चा मरीज का हो रहा है,जबकि कैशलेस स्कीम के तहत पैसा अस्पताल के खाते में पहुंचेगा। इससे मरीज खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
आयुष्मान भारत योजना की लॉन्चिंग से पहले शासन ने जिला अस्पताल मुरार से उपकरण, जरूरी संसाधनों की डिमांड लिस्ट तो मंगा ली, लेकिन संसाधन उपलब्ध नहीं कराए। आनन-फानन में योजना की लॉन्चिंग भी कर दी गई। अब डॉक्टर और मरीज दोनों के लिए यह योजना परेशानी का सबब बन चुकी है। कैशलेस स्कीम का लाभ लेने के लिए मरीज अस्पताल तो पहुंच रहे हैं, लेकिन जब जेब से खर्चा करना पड़ रहा है, तो वह खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
ईएनटी विभाग में उपकरण नहीं होने के कारण रोगियों के ऑपरेशन नहीं हो रहे हैं। अस्थि रोग विभाग में अब तक इस योजना के तहत 10 लोगों के ऑपरेशन हो चुके हैं। हालांकि इसमें इम्प्लांट का खर्चा मरीज को खुद उठाना पड़ा है। क्योंकि अस्पताल का इम्प्लांट के लिए किसी कंपनी से रेट कॉन्ट्रैक्ट नहीं है।
खर्चा किया मरीज ने, पैसे मिलेंगे अस्पताल को
इम्प्लांट, इंजेक्शन सहित अन्य चीजों पर मरीज जो खर्चा कर रहे हैं, वह रिफंड नहीं होना है। क्योंकि इस योजना के तहत मरीज के उपचार का पूरा पैसा सीधे हॉस्पिटल के खाते में पहुंचेगा। कुल मिलाकर योजना के नाम पर सरकार और अस्पताल के नंबर बढ़ेंगे, जबकि मरीज की जेब ढीली होगी।