
अमेरिका में एच-1बी वीजा शुल्क को लेकर ट्रंप प्रशासन का हालिया फैसला अमेरिका में सियासी और कानूनी बहस का बड़ा मुद्दा बन गया है। ट्रंप प्रशासन की तरफ से एच-1बी वीजा पर एक लाख डॉलर की भारी-भरकम फीस लगाने के फैसले के खिलाफ अब खुद अमेरिका के 20 राज्यों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मामले में राज्यों का कहना है कि यह फैसला गैरकानूनी है और इससे स्कूलों, अस्पतालों और अन्य जरूरी सेवाओं में स्टाफ की कमी और गंभीर हो जाएगी।
बता दें कि यह मुकदमा होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट (डीएसएस) की उस नीति के खिलाफ है, जिसमें एच-1बी वीजा के लिए आवेदन करने वाली कंपनियों से बहुत ज्यादा फीस लेने की बात कही गई है। एच-1बी वीजा का इस्तेमाल आमतौर पर अस्पताल, विश्वविद्यालय और सरकारी स्कूल जैसे संस्थान करते हैं, ताकि वे विदेश से कुशल कर्मचारियों को रख सकें।
राज्यों की दलील क्या है?
राज्यों ने ट्रंप के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में दलील दी है। राज्यों का कहना है कि यह फैसला प्रशासनिक प्रक्रिया कानून का उल्लंघन करता है। राज्यों ने इस बात पर भी जोर दिया कि ट्र्ंप प्रशासन का ये फैसला अमेरिकी संविधान के भी खिलाफ है। कांग्रेस ने कभी भी इतनी ज्यादा फीस लगाने की अनुमति नहीं दी।
राज्यों ने कहा कि पहले एच-1बी वीजा की फीस सिर्फ सिस्टम चलाने के खर्च तक सीमित रहती थी। अभी तक एच-1बी वीजा के लिए कंपनियों को कुल मिलाकर 960 डॉलर से 7,595 डॉलर तक फीस देनी पड़ती है। राज्यों का कहना है कि यह फैसला कांग्रेस की सीमा से बाहर जाकर लिया गया है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
शिक्षा और स्वास्थ्य पर असर
इतना ही नहीं राज्यों के अटॉर्नी जनरल्स ने चेतावनी दी है कि इस नई फीस से टीचरों और डॉक्टरों की कमी और गंभीर हो जाएगी। 2024–25 के स्कूल वर्ष में अमेरिका के 74% स्कूल जिलों ने माना कि उन्हें खाली पद भरने में दिक्कत हो रही है। खासकर स्पेशल एजुकेशन, साइंस, ईएसएल/बाइलिंगुअल शिक्षा और विदेशी भाषाओं में।
कौन-कौन से राज्य इस केस में शामिल हैं?
ट्रंप प्रशासन के खिलाफ कोर्ट पहुंचे 20 राज्यों में कैलिफोर्निया और मैसाचुसेट्स के साथ-साथ एरिजोना, कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, हवाई, इलिनॉय, मैरीलैंड, मिशिगन, मिनेसोटा, नेवादा, नॉर्थ कैरोलाइना, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, ओरेगन, रोड आइलैंड, वर्मोंट, वॉशिंगटन और विस्कॉन्सिन जैसे राज्य शामिल है।
कैलिफोर्निया के अर्टानी जनरलरॉब बोन्टा कर रहे केस की अगुवाई
इस केस की अगुवाई कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोन्टा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन के पास इतनी बड़ी फीस लगाने का कानूनी अधिकार नहीं है। रॉब बोन्टा ने इस बात पर भी जोर दिया कि कैलिफोर्निया दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हम जानते हैं कि जब दुनिया भर से कुशल लोग हमारे साथ काम करते हैं, तो हमारा राज्य आगे बढ़ता है।
उन्होंने आगे कहा कि ट्रंप की तरफ से लगाई गई एक लाख डॉलर की एच-1बी वीजा फीस गैरजरूरी और गैरकानूनी है। इससे स्कूलों, अस्पतालों और अन्य जरूरी सेवाओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और कर्मचारियों की कमी और ज्यादा हो जाएगी।
स्वास्थ्य क्षेत्र में भी एच-1बी वीजा बहुत अहम, समझिए कैसे?
अमेरिका में स्वास्थ्य संबंधी मामलों में एच-1बी वीजा बहुत अहम माना जाता है। इस बात को ऐसे समझा जा सकता है कि 2024 में करीब 17,000 एच-1बी वीजा मेडिकल और हेल्थ सेक्टर के लिए जारी किए गए। इनमें से लगभग आधे डॉक्टर और सर्जन थे। अमेरिका को 2036 तक 86,000 डॉक्टरों की कमी झेलनी पड़ सकती है।
समझिए फीस कब और कैसे लागू हुई?
गौरतलब है कि ट्रंप ने 19 सितंबर 2025 को एक आदेश जारी कर एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ाने को कहा। इसके बाद 21 सितंबर 2025 के बाद दाखिल होने वाले एच-1बी वीजा आवेदनों पर यह नियम लागू कर दिया गया। ऐसे में डीएचएस के सचिव को यह अधिकार दिया गया कि किन आवेदनों पर फीस लगेगी और किसे छूट मिलेगी।