
बेल्जियम मैलोनीज’ डॉग की ऐसी ब्रीड है जिसका इस्तेमाल अमेरिकन आर्मी में सबसे ज्यादा किया जाता है। सेना में पहले जर्मन शेफर्ड को रखा जाता था लेकिन अब यह उसका स्थान लेता जा रहा है। इसकी खूबी यह है कि यह कम वजनी होता है। आठ से 10 फीट तक उछल सकता है। चलती गाड़ी पर भी चढ़ सकता है। जबकि इससे विपरित स्वभाव वाली डॉग की एक नस्ल है ‘अफगान हाउंड’।
अफगान नस्ल के ये डॉग किसी समय भेड़ों के झुंड में रखे जाते थे। शिकार के शौकीन इस नस्ल की खास बात यह है कि यह बहुत ही नखराला होता है। सिल्की बाल वाला ये डॉग दिखने में बहुत खूबसूरत होता है। बेल्जियम शेफर्ड की कीमत 75 हजार रुपए होती है और यदि इसे सीधे बेल्जियम से मंगवाया जाए तो इसकी कीमत चार लाख हो जाती है। छोटे से टॉय पॉम की कीमत 50 हजार है और जॉइंट पुडल का पेयर 3 लाख रुपए का आता है। लाखों की कीमत वाले इन डॉग्स के साथ कई खास ब्रीड्स शहर में 30 सितंबर को नजर आएंगी।
कैनल क्लब ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित किए जाने वाले डॉग शो में सेमियोइड, कुरदीश कैंगल, डोगो अर्जेंटिनो, जॉइंट पुडल, टॉय पॉम सहित करीब 50 प्रजातियों के 400 डॉग शामिल होने जा रहे हैं। इनमें से कई नस्लें तो ऐसी हैं जो पहली बार शहर में नजर आएंगी। डॉग शो के बारे में कैनल क्लब ऑफ इंडिया के सचिव अजय जैनकर बताते हैं शो में भाग लेने के लिए इंदौर और आसपास के शहरों के अलावा हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, मुंबई, पुणे, नासिक, अहमदाबाद से लोग अपने डॉग्स को लेकर आ रहे हैं। शो को हैदराबाद के नवाब मो. मुनीरबिन जंग जज करेंगे।
कुछ बातें डॉग ट्रेनर से
घर के आकार के अनुसार डॉग पालें।
घर छोटा है तो टॉय ब्रीड लें और बड़ा है तो जॉइंट ब्रीड लें।
कम से कम 40 दिन से अधिक उम्र का ही पपी घर लाएं।
ढाई माह से चार माह की उम्र के पपी की ट्रेनिंग शुरू कर दी जाना चाहिए।
घर का वह व्यक्ति जो पपी से सबसे ज्यादा लगाव रखता हो वही ट्रेनिंग भी दे।
डॉग पालें तो उसके रहने, बैठने की जगह भी सुनिश्चित कर दें और उसके बर्तन भी अलग ही रखें।
डॉग को कभी अपने साथ बिस्तर में नहीं सुलाएं। यह हमारी सेहत और डॉग के व्यवहार दोनों के लिए नुकसानदायक है।
नितिन वर्मा, डॉग ट्रेनर, इंदौर
तीन माह तक के पपी को दिन में 4 बार, फिर 8 माह तक के पपी को दिन में 3 बार और उसके बाद 2 बार ही खाना दें।* जब भी खाना खिलाएं तुरंत उसे टॉयलेट के लिए ले जाएं। खाना खाते ही डॉग टॉयलेट जाते हैं। यह आदत विकसित होने पर वह तय स्थान पर ही टॉयलेट करेंगे।
जब आप अपने डॉग को कुछ सिखाएं तो निर्देश मानने पर उसे ट्रीट दें और निर्देश नहीं मानने पर सजा भी दें।
ट्रीट देने के लिए डॉग को उसकी पसंद का कुछ फूड खिलाएं और शाबासी दें।
सजा देने के लिए उसे मारे नहीं बल्कि उससे बात नहीं करें और कुछ देर के लिए उसे बांधकर आप थोड़ा दूर बैठ जाएं।
अरूण चौहान, डॉग ट्रेनर, हरियाणा
इंसान के बच्चों की तरह पपी को भी खिलौनों की जरूरत होती है। जब उनके दांत आए तब उनके लिए खास तरह के खिलौने लाएं। इससे वे आपकी वस्तुओं को काटेंगे नहीं।
जब आप कुछ खाएं तो जरूरी नहीं कि डॉग को भी वह चीज दें। उन्हें उन्हीं के बर्तन में खाना समय-समय पर दें।
बचपन से ही डॉग को लोगों के साथ फैमिलियर होना सिखाएं। इसके लिए आप उसे अपने साथ लाएं, आगंतुक से मिलवाकर उसे अपने स्थान पर बांध दें। इससे वे न तो बहुत ज्यादा फैमिलियर होंगे और ना ही ज्यादा खूंखार बनेंगे।
जब पपी ज्यादा भौंके तो उसे चुप कराऐं और यह आदत बचपन से ही डालें।
जब डॉग को घुमाने लेकर जाएं तो बचपन से ही उसे यह सिखाएं कि वह आपके साथ चले न कि आगे-आगे भागे।