‘स्मार्ट मीटर से हर साल होगा 1500 करोड़ का फायदा, फिर निजीकरण क्यों…’, उपभोक्ता परिषद ने उठाए सवाल
यूपी के ऊर्जा मंत्री के दावे पर विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाए हैं। परिषद ने कहा कि अगर इतना फायदा हो रहा है तो फिर पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण क्यों किया जा रहा है?
यूपी में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने से हर साल करीब 1500 करोड़ का फायदा होगा। इसके बाद भी पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया जा रहा है। ऐसे में विद्युत उपभोक्ता परिषद ने निजीकरण पर सवाल उठाया है।
चंडीगढ़ में ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन में ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने ऐलान किया है कि अगस्त 2025 तक सभी के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लग जाएंगे। नियामक आयोग में बिजली कंपनियां शपथ पत्र देकर बता चुकी हैं कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगते ही करीब 40 रुपया प्रति मीटर के हिसाब से फायदा होगा। स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना आत्मनिर्भर स्कीम है।
प्रदेश में 3 करोड़ से अधिक उपभोक्ता हैं। ऐसे में हर माह लगभग 120 करोड़ का फायदा होगा। यानी साल में लगभग 1500 करोड़ का फायदा होगा। इसी तरह प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों पर लगभग आरडीएसएस योजना के तहत 43454 करोड़ और बिजनेस प्लान के तहत लगभग रुपया 5000 करोड़ का कार्य हो रहा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने निजीकरण पर सवाल उठाया है।
उन्होंने कहा कि जब करोड़ों रुपये से समान सुविधाओं का विकास किया जा रहा है और स्मार्ट प्रीपेड मीटर से कमाई भी होनी है तो ऊर्जा विभाग के अधिकारी निजीकरण को लेकर लगातार प्रयास क्यों कर रहे हैं? उन्होंने सवाल उठाया है कि के कहीं करोड़ों रुपये के संसाधन विकसित करने के बाद निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने की साजिश तो नहीं हो रही है?