‘साउथ चाइना सी’ को लेकर मुखर हो रही है भारत की नीति

साउथ चाइना सी को लेकर भारत की नीति भी ज्यादा मुखर होने लगी है। भारतीय नौसेना के ईस्टर्न कमांड के तीन पोत साउथ चाइना सी में तैनाती के लिए रवाना हो चुके हैं। आइएनएस दिल्ली, आइएनएस शक्ति और आइएनएस किल्तन इस क्रम में सिंगापुर पहुंचे हैं।

इसके ठीक तीन दिन पहले ही भारत का प्रमुख उद्योग समूह अदाणी ग्रुप की कंपनी अदाणी पो‌र्ट्स स्पेशल इकोनोमिक जोन (एपीएसईजेड) ने साउथ चाइना सी के पास फिलीपींस के शहर बातान में एक पोर्ट बनाने और एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव किया है जिसे फिलीपींस की सरकार की तरफ से जल्द ही मंजूरी दिए जाने के आसार है।

चीन के अड़ियल रवैये से बदला भारत का रुख

जानकारों के मुताबिक पूर्वी लद्दाख के पास स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के कुछ हिस्सों को लेकर अप्रैल, 2020 से जारी विवाद को सुलझाने में चीन के अड़ियल रवैये को देखते हुए भारत का रुख भी बदल रहा है।भारतीय नौ सेना की तरफ से बताया गया है कि, “06 मई, 2023 को भारतीय पोतों का सिंगापुर में जबरदस्त स्वागत किया गया है। यह यात्रा भारतीय नेवा के ईस्टर्न कमांड के साउथ चाइना सी में परिचालन तैनाती के तहत आयोजित की गई है। भारत और सिंगापुर के नौ सेना के बीच काफी पहले से अच्छे संबंध हैं जो इन पोतों की यात्रा से और मजबूत होंगे।”

साउथ चाइना सी में चीन की बढ़ी आक्रामक गतिविधियां

दोनों देशों की नौ सेनाओं के बीच हाल के वर्षों में संपर्क काफी बढ़ गया है। अब पहले के मुकाबले ज्यादा संवाद हो रहा है और नौ सेना के जहाजों का एक दूसरे के बंदरगाहों पर आवागमन भी बढ़ गया है। जानकार भारत और सिंगापुर की नौ सेनाओं के बीच संपर्क व संवाद बढ़ने के पीछे साउथ चाइना सी में चीन की बढ़ती आक्रामक गतिविधियों को भी बताते हैं।

भारत साल 2021 के बाद हुआ ज्यादा सक्रिय

भारत ने वर्ष 2021 के बाद से साउथ चाइना सी के करीबी देशों के साथ नौसैनिक संबंधों को लेकर ज्यादा सक्रियता दिखाना शुरू किया है। इसको गलवन घाटी में चीनी सैनिकों के घुसपैठ और भारत व चीन के सैनिकों के बीच जून, 2020 में हुए हिंसक झड़पों से जोड़ कर भी देखा जाता है। मार्च, 2024 में विदेश मंत्री एस जयशंकर की फिलीपींस, दक्षिण कोरिया और जापान यात्रा को भी साउथ चाइना सी को लेकर भारत के नये रूख के तौर पर देखा जाता है।

चीन व फिलीपींस के बीच लगातार बढ़ा तनाव

मनीला में अपनी प्रेस कांफ्रेंस में जयशंकर ने कहा था कि भारत फिलीपींस की भौगोलिक संप्रभुता का पूरा समर्थन करता है। जयशंकर का यह बयान तब आया था जब चीन व फिलीपींस के बीच लगातार तनाव बढ़ रहा था। अभी भी दोनों देशों के बीच स्थिति लगातार बिगड़ने की सूचना है। साउथ चाइना सी को लेकर भारत का स्पष्ट मत है कि इस क्षेत्र में विवाद को लेकर समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी (यूएनक्लोज) का वर्ष 2016 में दिया गया फैसला लागू होना चाहिए।

इन कारणों की वजह से भी उठाया गया यह कदम

यह फैसला फिलीपींस के पक्ष में था जिसे चीन नहीं मानता है। पिछले वर्ष सरकारी कंपनी ओएनजीसी की सब्सिडियरी ओएनजीसी विदेश (ओवीएल) को साउथ चाइना सी में स्थित विएतनाम के समुद्री सीमा में स्थित तेल व गैस ब्लाक में खोज व उत्खनन के काम को अगले तीन वर्षों तक जारी रखने की अनुमति केंद्र सरकार दे दी थी। यह तेल व गैस ब्लाक लंबे अरसे से ओवीएल के पास है लेकिन इससे कोई पेट्रोलियम उत्पाद अभी तक नहीं मिल सका है।

भारत को लेकर चीन ने कई बार जताई आपत्ति

हर तीन वर्ष पर ओवीएल को खोज काम जारी रखने की इजाजत दी जाती है। अभी तक आठ बार कंपनी को अनुमति मिल चुकी है। इस ब्लाक में भारतीय कंपनी की मौजूदगी पर चीन की तरफ से कई बार आपत्ति भी जताई गई है। माना जाता है कि रणनीतिक महत्व को देख कर ही भारत सरकार इस ब्लाक को लेकर इस तरह का फैसला कर रही है।

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