सुप्रीम कोर्ट एमपी में मारे गए 8 सिमी सदस्यों की जांच रिपोर्ट में नहीं करना चाहता हस्तक्षेप

नई दिल्ली: एमपी में करीब दो साल पहले जेल से भागने के बाद मुठभेड़ में मारे गए प्रतिबंधित संगठन सिमी के सदस्यों की मौत की जांच को लेकर दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट ने अपना विचार व्यक्त किया है. सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को कहा कि प्रतिबंधित संगठन सिमी के आठ सदस्यों के 2016 में भोपाल में जेल से फरार होने के बाद मुठभेड़ में मारे जाने के मामले की आयोग की जांच रिपोर्ट में वह हस्तक्षेप करने का इच्छुक नहीं है. आयोग ने रिपोर्ट में मध्यप्रदेश पुलिस को क्लीन चिट दी थी और पुलिस द्वारा बल प्रयोग को उचित और अनिवार्य बताया था, जिसमें सिमी के 8 सदस्यों की मौत हो गई थी.

जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस केएम जोसेफ ने सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक सदस्यीय आयोग की रिपोर्ट का उल्लेख किया और कहा कि मामले की एक स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाली अर्जी को पीठ के समक्ष लंबित रखने का कोई मतलब नहीं है. पीठ ने कहा, ”एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की जांच रिपोर्ट आ गई है. रिपोर्ट नकारात्मक है.” पीठ ने कहा, ” मामले को लंबित रखने का कोई मतलब नहीं है.”

बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व वाले आयोग की रिपोर्ट के मद्देनजर, जिसे रिकार्ड में लाया गया है, हम हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं. तदनुसार विशेष अनुमति याचिका का निस्तारण किया जाता है.’ पीठ मुठभेड़ में मारे गए एक व्यक्ति के एक रिश्तेदार की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई कर रही थी. इस अर्जी में घटना की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी.

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