गोल्डकोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों की सफलता दोहराने उतरेगा भारत, ये हैं पदक के दावेदार
Jakarta Palembang 2018: शनिवार को 18वें एशियाई खेलों का आगाज शनिवार को होने जा रहा है। 572 खिलाड़ियों वाले भारतीय दल से इस बार गोल्डकोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों के प्रदर्शन को दोहराने की उम्मीद है। राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन के बाद भारतीय दल की कोशिश अब शनिवार से यहां शुरू हो रहे 18वें एशियाई खेलों में भी बेहतर खेल दिखाकर सर्वश्रेष्ठ करने की होगी। हालांकि यहां पहुंचने से पहले भारतीय खिलाड़ियों को कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ा।
एशियाई खेलों की तैयारियां काफी तनावपूर्ण रहीं जिसमें चयन संबंधित शिकायतों और अदालती कार्रवाई के अलावा हमेशा की तरह दल की संख्या 804 (एथलीट और अधिकारियों को मिलाकर) को लेकर विवाद शामिल रहा तथा सबसे अहम दल के साथ पहुंचे अधिकारियों की छवि पर उठे सवाल रहे।लेकिन भारतीय खेलों में पिछले कई दशकों की तरह ही एथलीट यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि सभी का ध्यान टूर्नामेंट शुरू होने के साथ नतीजों पर ही लगा रहे।
गोल्डकोस्ट में किया था शानदार प्रदर्शन
गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के बाद पदकों की संख्या के हिसाब से दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। लेकिन ज्यादातर खिलाड़ियों और उनके कोचों ने स्वीकार किया है कि चीन, जापान और कोरिया जैसे ताकतवर देशों की मौजूदगी में उसके लिये चुनौती काफी मुश्किल होगी। लेकिन इस वजह से खिलाड़ियों को न तो उत्साह में और न ही उम्मीदों में कमी आयी।
ये हैं पदकों के सबसे बड़े दावेदार
एशियाई खेलों में इस बार पदक के दावेदारों में हरियाणा की 16 साल की निशानेबाज मनु भाकर से लेकर फार्म से जूझ रहे पहलवान सुशील कुमार तथा फार्म में चल रहे और लगातार नयी ऊंचाईयां छू रहे भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा शामिल हैं। दल में हिमा दास जैसी एथलीट मौजूद हैं जो अंडर-20 विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं। असम के किसान की बेटी ने इसके बाद उम्मीदें काफी बढ़ा दी हैं और अगर वह जकार्ता में पोडियम स्थान पर पहुंचती हैं तो उनका खेलों में कद बड़ा ही होगा। इसमें कोई शक नहीं कि वह खेलों में प्रबल दावेदारों में शामिल होंगी। भारत के ट्रैक एवं फील्ड सितारों ने एशियाड के इतिहास में शानदार प्रदर्शन किया है जिन्होंने 74 स्वर्ण सहित 282 पदक अपने नाम किये हैं और इस बार भी कुछ अलग नहीं होगा।
572 खिलाड़ियों के साथ उतरेगा भारत
भारत ने 2014 एशियाड में पदकों की संख्या के हिसाब से अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बराबरी की थी जिसमें 11 स्वर्ण पदक सहित कुल 57 पदक अपने नाम किए थे। इस बार 572 खिलाड़ियों के दल से उससे बेहतर की प्रदर्शन की सवा अरब लोगों को उम्मीद होगी।
ये हैं पदकों के सबसे बड़े दावेदार
एशियाई खेलों में इस बार पदक के दावेदारों में हरियाणा की 16 साल की निशानेबाज मनु भाकर से लेकर फार्म से जूझ रहे पहलवान सुशील कुमार तथा फार्म में चल रहे और लगातार नयी ऊंचाईयां छू रहे भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा शामिल हैं। दल में हिमा दास जैसी एथलीट मौजूद हैं जो अंडर-20 विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं। असम के किसान की बेटी ने इसके बाद उम्मीदें काफी बढ़ा दी हैं और अगर वह जकार्ता में पोडियम स्थान पर पहुंचती हैं तो उनका खेलों में कद बड़ा ही होगा। इसमें कोई शक नहीं कि वह खेलों में प्रबल दावेदारों में शामिल होंगी। भारत के ट्रैक एवं फील्ड सितारों ने एशियाड के इतिहास में शानदार प्रदर्शन किया है जिन्होंने 74 स्वर्ण सहित 282 पदक अपने नाम किये हैं और इस बार भी कुछ अलग नहीं होगा।
निशानेबाजी: मनुभाकर पर रहेंगी सबकी नजरें
पालेमबांग में शूटिंग रेंज में मनु भाकर आकर्षण का केंद्र होगी और उसकी फार्म को देखते हुए अगर वह शानदार प्रदर्शन नहीं कर पाती है तो यह हैरान करने वाला होगा।
फाइनल के मिथक को तोड़ने उतरेंगी सिंधू
बैडमिंटन कोर्ट पर पीवी सिंधू फाइनल के मिथक को तोड़ना चाहेंगी। लेकिन एक बार फिर उन्हें इस खेल के मजबूत देशों चीन, थाईलैंड और जापान के खिलाड़ियों की कड़ी चुनौती का सामना करना होगा। साइना नेहवाल भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहेंगी, हालांकि देखना होगा कि उनका शरीर उनका साथ कैसे देता है क्योंकि अभी तक का सत्र काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। के श्रीकांत और एच एस प्रणय के साथ इन सबके भारत की पदक तालिका में इजाफा करने की उम्मीद है।
कुश्ती: फॉर्म से जूझ रहे हैं ओलंपिक पदक विजेता
भारत कुश्ती मैट पर भी अच्छे प्रदर्शन की आस कर सकता है जिसमें फार्म में चल रहे बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट को पदक के पक्के दावेदारों के रूप में देखा जा रहा है। पूनिया ने सिर्फ राष्ट्रमंडल खेलों में ही नहीं बल्कि जकार्ता खेलों से पहले तबलिसी ग्रांप्री और यासर दोगु अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भी चैम्पियन रहे।हालांकि फार्म से जूझ रहे कुछ सितारों जैसे ओलंपिक स्वर्ण पदकधारी सुशील कुमार और साक्षी मलिक के लिये खुद को साबित करने का अच्छा मौका होगा। सुशील चार साल में पहली बार जार्जिया में तबलिसी ग्रांप्री में अपनी पहली बाउट हार गये, वहीं इस्तांबुल में यासर दोगु में साक्षी पदक दौर में पहुंचने में असफल रही थीं। इन दोनों खिलाड़ियों की साख दांव पर लगी है और इसे वापस लाने में स्वर्ण पदक से कम कुछ भी मदद नहीं करेगा।
हॉकी: ओलंपिक का टिकट कटाना होगा लक्ष्य
पुरुष हाकी टीम स्वर्ण पदक जीतकर सीधे 2020 ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने पर नजर लगाये होगी। टीम हाल में चैम्पियंस ट्रॉफी में उप-विजेता रही थी और उसके सामने ज्यादा कड़ी चुनौतियां नहीं होंगी इसलिये अगर वह स्वर्ण के बिना लौटती है तो यह निराशाजनक ही होगा। महिला टीम विश्व कप के सेमीफाइनल में ऐतिहासिक स्थान से चूक गयी लेकिन रानी रामपाल की अगुवाई वाली टीम से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है और वह इंचियोन में कांस्य पदक के रंग को बदलना चाहेगी।
नहीं थम रहा टेनिस का ड्रामा
टेनिस दल पहले ही अजीब तरह के ड्रामे का सामना करना रहा है और यह हर बड़े टूर्नामेंट में उसका ट्रेडमार्क बनता जा रहा है। लिएंडर पेस के अंतिम समय पर हटने से कोच कम कप्तान जीशान अली को पुरुष और मिश्रित युगल के जोड़ीदारों का चयन करना होगा।हालांकि इस अनुभवी स्टार के इस कदम से कितना असर पड़ता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
बॉक्सिंग युवा खिलाड़ी करेंगे कमाल
मुक्केबाजी रिंग में भी कुछ मजबूत भारतीय खिलाड़ी जैसे विकास कृष्ण, शिव थापा और तेजी से ऊपर बढ़ते गौरव सोलंकी भारतीय पुरुष चुनौती का प्रतिनिधित्व करेंगे। महिलाओं में विश्व रजत पदकधारी सरजूबाला देवी भी पदक की दावेदार होंगी।
ओलंपिक के प्रदर्शन को दोहराना चाहेंगी दीपिका
टेबल टेनिस में मनिका बत्रा राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्णिम प्रदर्शन को दोहराना चाहेंगी लेकिन यह इतना आसान नहीं होगा क्योंकि ड्रॉ में चीन और जापान के खिलाड़ी शामिल हैं। पुरुषों में अनुभवी अचंत शरद कमल के प्रदर्शन पर सभी की निगाहें होंगी।
चोट से वापसी करने वाली दीपा कर्माकर जिम्नास्टिक के वॉल्ट स्पर्धा में अपना लोहा मनवाना चाहेंगी। वहीं विश्व चैम्पियन मीराबाई चानू की अनुपस्थिति में भारतीय चुनौती भारोत्तोलन में कमजोर हुई है। हालांकि कुछ दिलचस्प खेलों में भी भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन देखना दिलचस्प होगा जिसमें पेनकाक सिलाट और ब्रिज शामिल है। भारत इनमें भाग लेगा लेकिन पदक की दावेदारी स्पष्ट नहीं है।