मेनका गांधी ने बताया, आखिर क्यों सही है सैनिटरी पैड पर 12 फीसदी जीएसटी लगाना
नई दिल्ली: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बुधवार (7 फरवरी) को कहा कि सैनिटरी पैड पर 12 फीसदी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) स्वीकार्य है. मेनका ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “यह 18 फीसदी से कम हो गया है.. इस समय बाजार पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का राज है. इसलिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर भी 12 फीसदी जीएसटी लगेगा, नहीं तो पूरा बाजार खत्म हो जाएगा.. इससे स्वदेशी पैड खत्म हो जाएंगे.”इससे पहले गांधी ने वित्तमंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर पर्यावरण के लिए अनुकूल और स्वयं नष्ट होने वाले सैनिटरी पैड को 100 फीसदी करमुक्त करने का आग्रह किया था.
सैनिटरी पैड को अन्य माध्यमों से उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहा है मंत्रालय
गांधी ने कहा कि मंत्रालय पहली बार सैनिटरी पैड को अन्य माध्यमों से उपलब्ध कराने के लिए काम कर रहा है और स्वयं-सहायता समूहों को सैनिटरी पैड बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. जैसे गूंज संस्था जीएसटी से मुक्त 20 लाख रुपये से कम की राशि से सैनिटरी पैड बना रही है. उन्होंने कहा, “बहुराष्ट्रीय कंपनियों को यहां लाने की अपेक्षा अगर हम ऋण तंत्र की नीति पर निर्णय लेते हैं तो हमारे पास कई स्वयं सहायता समूह हैं जो पैड बनाकर स्थानीय स्तर पर फैला सकते हैं.”
सैनिटरी नैपकिन को नष्ट करने करने की तकनीक पर भी विचार
गांधी ने बताया कि मंत्रालय स्कूलों में सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने के लिए, स्वयंसेवी संस्थाओं का अनुदान बढ़ाने और पैड नष्ट करने वाली मशीनें उपलब्ध कराने के लिए नीति आयोग, मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय से बात कर रहा है. उन्होंने कहा, “सैनिटरी नैपकिन को नष्ट करना चिंता का विषय है, लेकिन हम जल्द ही समाधान निकाल लेंगे. इसके लिए हमें नीतियां बनानी होंगी और निर्णय लेने होंगे. मैं एक बैठक बुलाऊंगी जहां हम एक साथ निर्णय ले सकेंगे.”