मालदीव में राजनीतिक संकट, जानें क्या है पूरा मामला और क्यों मांगी भारत की मदद
माले। मालदीव में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने जहां अपने आदेश अमल करने का सेना को निर्देश दिया है। वहीं, सरकार ने सेना और पुलिस से कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं माने। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भारत समेत सभी लोकतांत्रिक देशों से देश में कानून का शासन बनाए रखने में मदद मांगी है।
राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने से इंकार कर दिया है, जिसके बाद सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है। सरकार ने पुलिस और सेना को आदेश दिया है कि वे राष्ट्रपति की गिरफ्तारी या उन पर महाभियोग चलाने के आदेश को मानने से इंकार कर दें। उधर, राष्ट्रपति यामीन से नाराज लोग सड़कों पर उतर आए हैं और उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने की अपील
इस मामले में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एटोनियो गुटेरेस ने मालदीव सरकार से विपक्षी नेताओं को रिहा करने और 12 सांसदों को फिर से बहाल करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करने की अपील की है। गौरतलब है कि मालदीव में वर्ष 2008 में लोकतंत्र की स्थापना हुई थी और मोहम्मद नशीद लोकतांत्रिक रूप से चुने गए मालदीव के पहले राष्ट्रपति हैं।
निर्वासित जीवन जी रहे हैं राष्ट्रपति
नशीद को साल 2015 में आंतकवाद विरोधी कानूनों के तहत सत्ता से हटा दिया गया था। वह देश के पहले लोकतांत्रिक निर्वाचित नेता हैं और इन दिनों ब्रिटेन में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं। नशीद अपने राजनीतिक अधिकारों को बहाल कराने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने कहा कि मौजूदा सरकार और राष्ट्रपति को तुरंत पद से इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने सुरक्षाबलों से अपील की कि वे संविधान की रक्षा करें।
वहीं, दूसरी तरफ विपक्षी दल मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रवक्ता हामिद अब्दुल गफूर ने कहा कि पुलिस ने रात में चीफ जस्टिस सहित दो वरिष्ठ जजों को गिरफ्तार करने की कोशिश की। उन पर रिश्वत लेने के आरोप लगाए गए हैं। हामिद ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार न्यायपालिका की ताकत खत्म करना चाहती है।
न्यायाधीशों को मिल रही धमकियां
चीफ जस्टिस ब्दुल्ला सईद ने आरोप लगाया है कि उन्हें तथा साथी जज अली हामिद और जूडिशल ऐडमिनिस्ट्रेटर हसन सईद को अज्ञात लोगों से धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि अपनी सुरक्षा के लिए वे कोर्ट में ही रात बिताएंगे। इसके बाद सेना और पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट परिसर को सुरक्षा घेरे में ले लिया है।
सरकार और न्यायपालिका में टकराव
मालदीव में सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। दरअसल, चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद ने सरकार की तरफ से दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस ने साफ कहा है कि सरकार को बिना पुनर्विचार की मांग किए ही आदेश को मानना होगा। यह दोनों के बीच टकराव का कारण बन गया है।
क्या है मामला
पिछले गुरुवार को मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने 9 राजनीतिक असंतुष्टों की रिहाई और उन 12 सांसदों की फिर से बहाली का आदेश दिया था, जिन्हें यामीन की पार्टी से अलग होने के बाद बर्खास्त कर दिया गया था। अदालत ने कहा था कि ये मामले राजनीति से प्रेरित थे।
रविवार को सुप्रीम कोर्ट ने मालदीव सरकार से अपने आदेश का पालन करने को कहा। 12 सांसदों को बहाल करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यामीन की पार्टी अल्पमत में हो जाएगी। ऐसा होने पर उन पर महाभियोग का खतरा मंडरा सकता है।
ये सांसद सत्ता पक्ष से अलग होकर विपक्ष में शामिल हो गए थे। मालदीव सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने से इनकार कर दिया है। इस बीच, पुलिस ने रविवार को 2 विपक्षी सांसदों को स्वदेश लौटने पर गिरफ्तार कर लिया।
रविवार को राष्ट्रीय टेलिविजन पर दिए गए अपने संदेश में अटर्नी जनरल मोहम्मद अनिल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को सरकार नहीं मानती। अनिल ने कहा कि राष्ट्रपति को गिरफ्तार करने का सुप्रीम कोर्ट का कोई भी फैसला असंवैधानिक और अवैध है, इसलिए मैंने पुलिस और सेना से कहा है कि किसी भी असंवैधानिक आदेश का पालन न करें।