ट्रंप-मर्केल में फिर जुबानी जंग, रक्षा खर्च को लेकर US के निशाने पर जर्मनी
जी-7 बैठक में हंगामे के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नाटो बैठक से पहले जर्मनी पर हमला बोला है. डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रसेल्स में उत्तरी एटलांटिक संधि संगठन (नाटो) शिखर सम्मेलन से पहले यूरोपीय सहयोगियों की आलोचना जारी रखी है.
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप बुधवार और गुरुवार के लिए निर्धारत नाटो शिखर सम्मेलन के लिए मंगलवार शाम ब्रसेल्स पहुंचे. इसके बाद उनके ब्रिटेन का दौरा करने और उसके बाद फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने की योजना है.
ट्रंप ने मंगलवार शाम को ट्वीट कर कहा, “यूरोपीय संघ ने यूरोप में हमारे मजदूरों, कर्मचारियों और कंपनियों के लिए व्यापार करना असंभव बना दिया है और इसके बाद वे चाहते हैं कि हम खुशी-खुशी नाटो के जरिए उनकी सुरक्षा करते हैं और शालीनता से इसका भुगतान भी करते रहें. यह अब नहीं चलेगा.”
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में शाम को कहा, “नाटो में कई देश, जो हमसे अपनी सुरक्षा की उम्मीद कर रहे हैं, ना केवल अपनी वर्तमान प्रतिबद्धता दो फीसदी (कुल जीडीपी का दो फीसदी रक्षा पर व्यय करना) से दूर हैं बल्कि कई सालों से भुगतान नहीं करने के कसूरवार भी हैं, क्या वे अमेरिका को पैसा वापस लौटाएंगे?” गौरतलब है कि नाटो अमेरिका की अगुआई वाला 29 देशों का सैन्य गठबंधन है.
निशाने पर जर्मनी
ट्रंप ने बर्लिन पर रूस के चंगुल में होने का आरोप लगाकर जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल के खिलाफ तीखी टिप्पणी करने के बाद यह आश्चर्यजनक मांग रखी. यूरोप और अमेरिका के आरोप-प्रत्यारोप के कारण ब्रसेल्स का यह दो दिन का सम्मेलन गठबंधन के लिए सबसे मुश्किल समय साबित हो रहा है. नाटो के सदस्य देश 2014 के वेल्स सम्मेलन में 10 वर्षों में अपनी जीडीपी का दो फीसदी रक्षा पर खर्च करने को लेकर सहमत हुए थे लेकिन व्हाइट हाउस के मुताबिक ट्रंप इसे पर्याप्त नहीं मानते और उन्होंने रक्षा पर जीडीपी का चार प्रतिशत खर्च करने की मांग की.
https://twitter.com/realDonaldTrump/status/1017190186269184001
आपको बता दें कि यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश जर्मनी सुरक्षा गठबंधन पर GDP का 1.24 प्रतिशत खर्च करता है जबकि 2014 में फैसला GDP का दो प्रतिशत खर्च करने पर हुआ था, अमेरिका अपने जीडीपी का 3.5 प्रतिशत सुरक्षा पर खर्च करता है. जवाब में मर्केल ने कहा है कि वह रूस के प्रभाव में काम नहीं करतीं. जर्मनी स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र है, वह अपने हितों के मुताबिक नीतियां बनाता है.