भारत में पहली बार हींग उगाने की प्रक्रिया हुई तेज, जानें मसालों की शृखंला में क्यों है महत्वपूर्ण
हींग भारतीय रसोई का एक अहम मसाला है. खाने में इसके इस्तेमाल करने की संस्कृति पुराने जमाने से चली आ रही है. खाने के स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए हींग का इस्तेमाल किया जाता है. भारत में इसकी मांग शुरू से रही है.
पहली बार भारत में हींग उगाने की पहल-
ये मसाला विदेशों से आयात किया जाता है. मगर अब इसकी जड़ हमारे देश में होनेवाली है. पहली बार, हींग भारत में उगाई जाएगी. वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (IHBT) ने हिमाचल प्रदेश के लाहौल घाटी में मसाले की खेती करने की पहल की है. अब तक, हर साल अफगानिस्तान, ईरान और उजबेकिस्तान से 1200 टन कच्ची हींग का आयात किया जाता था. जिसकी वजह से भारत को प्रति वर्ष लगभग 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्च उठाना पड़ता था.
IHBT ने फेरूला हींग के पौधों के बीज भारत लाकर कृषि-तकनीक की मदद से खेती शुरू करने की कवायद की है. 15 अक्टूबर को लाहौल घाटी के क्वारिंग गांव में CSIR-IHBT के निदेशक डॉक्टर संजय कुमार ने पहली बार हींग के पौधे की रोपाई की. हींग का पौधा ठंड और शुष्क वातावरण में उगता है, इसलिए इसकी खेती के लिए हिमालयी क्षेत्र के ठंडे रेगिस्तानी इलाकों को चुना गया.
मसालों में हींग क्यों है महत्वपूर्ण घटक?
हींग पाचन को सुधार करने का काम करता है. इसके इस्तेमाल से पेट फूलने, एसिडिटी, ब्लोटिंग की समस्या से राहत मिलती है. हींग कूमेरिन यौगिक से भरपूर होता है. ये ब्लड प्रेशल लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है. इसके सूजन रोधी गुण होने की वजह से हींग खांसी, सर्दी, श्वसन समस्या जैसे अस्थमा और ब्रोंकाइटिस में मददगार साबित होता है.
एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाने की वजह से हींग का सेवन आम स्वास्थ्य के लिए मुफीद होता है. इसके इस्तेमाल से बाल झड़ने और स्किन की समस्या काबू में रहती है. कुछ शोध में हींग को डायबिटीज के लिए भी फायदेमंद बताया गया है. भारतीय कृषि पद्धति में हींग का उगाना बड़ी छलांग के तौर पर देखा जा रहा है. इसके जरिए देश में मसाले की बड़ी मांग की पूर्ति की जा सकेगी.