‘फ्लेवर्ड’ धुएं में घुट रहा है बच्चों का भविष्य, किशोरों को शिकार बना रही ‘वेपिंग’ की जानलेवा लत

आजकल किशोर पीढ़ी के बीच ‘वेपिंग’ (ई-सिगरेट) का प्रयोग एक बड़ा ट्रेंड बन चुका है। इसे अक्सर कूल, टेक-सैवी और सिगरेट से सुरक्षित विकल्प के रूप में देखा जाता है। जबकि वास्तविकता यह है कि असल में यह शौक बच्चों के मस्तिष्क और भविष्य के विनाश की शुरुआत है। वेपिंग को सबकल्चर के रूप में मान रही नई पीढ़ी दोस्तों के दबाव और समाज में ‘कूल’ बने रहने के लिए इसको शुरू करती है, मगर यह समझ नहीं पाती कि कब रुक जाना है।

भ्रम बना रहे लती
आनलाइन बिक्री इंटरनेट मीडिया ट्रेंड और ‘ये सिगरेट से सेफ है’ जैसे भ्रम के कारण टीनएजर्स में इसका चलन तेजी से बढ़ रहा है। फ्रूट, मिंट जैसे फ्लेवर्स टीनएजर्स को लुभाते हैं। यह गलत धारणा फैली हुई है कि ई-सिगरेट सामान्य सिगरेट से सुरक्षित है और यह वजन घटाने या फोकस बढ़ाने में मदद करती है। ई-सिगरेट तो वास्तव में निकोटिन की लत का एक आधुनिक रूप है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही है। किशोरावस्था के दौरान निकोटिन का सेवन विकसित हो रहे मस्तिष्क पर गंभीर और प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

अध्यापक अनजान, अभिभावक परेशान
बच्चों में सिगरेट की लत को कम करने के लिए स्कूल-कालेज के आस-पास सिगरेट की बिक्री पर दायरा कस दिया गया। माता-पिता भी निश्चिंत हो गए और अध्यापक भी गलती यह हो गई कि हर बार की तरह यहां भी लूप निकल आया, ई-वेपिंग के तौर पर। ई-सिगरेट का आकार अक्सर पेन ड्राइव जैसा होता है, जिसके कारण माता-पिता और शिक्षक इसे पहचान नहीं पाते और बच्चे आसानी से इसे अपने बैग में छिपा लेते हैं। अच्छे रिजल्ट से लेकर फेयरवेल के नाम पर हो रही पार्टीज में चोरी-छिपे, तो कभी खुलेआम टीनएजर्स वेप पेन से धुआं उड़ाते दिखाई दे जाएंगे।

वेपिंग क्या है?
वेपिंग एक ई-सिगरेट या वे पपेन जैसे छोटे उपकरण का उपयोग करने की प्रक्रिया है। इसमें बैटरी से चलने वाला हीटिंग एलिमेंट निकोटिन और फ्लेवर युक्त तरल (ई-लिक्विड) को गर्म करके भाप में बदल देता है, जिसे व्यक्ति सांस के जरिए अंदर खींचता है।

पाबंदी के बावजूद फल-फूल रहा है अवैध बाजार
2019 से भारत में ई-सिगरेट के निर्माण, बिक्री और आयात पर प्रतिबंध लगा होने के बाद भी यह अवैध माध्यमों से उपलब्ध है। जबकि वेपिंग पर प्रतिबंध का उल्लंघन पहली बार करने पर भी एक साल की कैद और एक लाख रुपए अथवा दोनों की सजा है। बार-बार उल्लंघन करने पर तीन साल की कैद और पांच लाख का जुर्माना हो सकता है।

16 गुणा ज्यादा वेपिंग लत है किशोरों में अधिक उम्र के लोगों की तुलना में।
23 प्रतिशत भारतीय कर रहे हैं ई-सिगरेट का उपयोग।
13 से 15 साल की उम्र के करीब 15 करोड़ बच्चे दुनिया भर में कर रहे हैं ई-सिगरेट का इस्तेमाल (विश्व स्वास्थ्य संगठन)।

वेपिंग के खतरे
अस्थमा, पापकार्न लंग्स और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं
ब्लड प्रेशर बढ़ाता है और धमनियों को संकीर्ण कर सकता है।
कमजोर इम्यूनिटी, आक्सीजन सप्लाई धीमी होना, डीएनए डैमेज और दिमागी विकास धीमा होना
त्वचा संबंधी समस्याएं, दांत कमजोर और पीले पड़ना

ऐसे करें संवाद
यह सोचना गलत है कि वेपिंग पर बात करने से बच्चे उसकी ओर आकर्षित होंगे। जैसे यौन शिक्षा अनैतिकता नहीं बढ़ाती, वैसे ही वेपिंग पर चर्चा करना उसे बढ़ावा देना नहीं है। उपदेश देने के बजाय उनसे सवाल पूछें और उनकी राय जानें। स्वास्थ्य, स्वच्छता और भावनात्मक मजबूती पर खुलकर बात करना जरूरी है। यदि बच्चा वेपिंग कर रहा है, तो घबराने या गुस्सा करने के बजाय इसे उसकी मदद करने के अवसर के रूप में देखें। बच्चों के साथ डराने वाला व्यवहार करने के बजाय सहानुभूति और खुले संवाद के जरिए उन्हें वेपिंग जैसी आदतों से बाहर निकाला जा सकता है। समझ लें कि वेपिंग धूम्रपान छोड़ना जैसा ही है। आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सक, काउंसलर और साइकोलाजिस्ट से संपर्क करें। निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी लें। बच्चों को समझाएं कि वेपिंग के लिए उत्साहित करने वाले साथियों, दोस्तों से दूरी बरतें। वेपिंग के ट्रिगर्स से बचें।

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