मोटापा साबित हो सकता है जानलेवा बढ़ा रहा है कैंसर का जोखिम

मोटापे से संबंधित कैंसर के मामले जो पहले युवा वर्ग में बढ़ते हुए देखे गए थे, अब युवा और वृद्धों दोनों में विश्व स्तर पर बढ़ने की संभावना है। वैश्विक विश्लेषण के अनुसार, युवाओं व वृद्धों में मोटापे के कारण कैंसर के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण शरीर में अतिरिक्त चर्बी से होने वाले हार्मोनल बदलाव, पुरानी सूजन और अन्य मेटाबोलिज्म संबंधी समस्याएं हैं। कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट और लंदन के इम्पीरियल कालेज के शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि कैंसर के मामलों में वृद्धि के लिए केवल युवाओं पर ध्यान केंद्रित करने वाले नए अध्ययनों पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए। यह अध्ययन एनल्स आफ इंटरनल मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसमें 2003 से 2017 तक की वार्षिक कैंसर की घटनाओं का विश्लेषण किया । इसमें पाया गया कि मोटापे से संबंधित पांच कैंसर थायरायड, स्तन, गुर्दा, एंडोमेट्रियल और रक्त (ल्यूकेमिया) 20 से 49 वर्ष के युवाओं और 50 वर्ष से अधिक आयु के व्यस्कों में बढ़ रहे हैं। 42 देशों के डाटा का विश्लेषण टीम ने कहा कि ये सभी पांच कैंसर मोटापे से संबंधित हैं। एशिया, यूरोप, अफ्रीका, उत्तर व दक्षिण अमेरिका और आस्ट्रेलिया 42 देशों के डाटा का विश्लेषण किया गया, जो इंटरनेशनल एजेंसी फार रिसर्च आन कैंसर के ‘ग्लोबोकैन’ डेटाबेस से लिया गया था। इन देशों में से तीन-चौथाई से अधिक में युवाओं में थायरायड, स्तन, कोलोरेक्टल, गुर्दा, एंडोमेट्रियल कैंसर व ल्यूकेमिया के मामलों में वृद्धि पाई गई। हालांकि, कोलोरेक्टल कैंसर के लिए युवाओं के मामलों की वृद्धों की तुलना मैं लगभग 70 प्रतिशत देशों में अधिक वृद्धि थी । शोधकर्ताओं ने इस प्रवृत्ति का श्रेय नए कैंसर कारक तत्वों के संपर्क या वृद्धों के बीच प्रभावी स्क्रीनिंग को दिया । लिवर, ओरल, ग्रासनली, और पेट के कैंसर के लिए अध्ययन किए गए आधे से अधिक देशों में युवाओं में घटनाओं की दर कम पाई गई। युवाओं और वृद्धों दोनों में बढ़ रहे कैंसर शोध लेखकों ने लिखा कि कई प्रकार के कैंसर मरीजों की संख्या कई देशों में बढ़ी है। हालांकि, कोलोरेक्टल कैंसर को छोड़कर ये वृद्धि युवा और वृद्ध दोनों में हुई है। अधिकांश देशों में युवा और वृद्धों में बढ़ते हुए कैंसर के प्रकार सभी मोटापे से संबंधित थे, जिसमें एंडोमेट्रियल और गुर्दा कैंसर मोटापे से सबसे अधिक जुड़े हुए थे। टीम ने कहा कि परिणाम यह संकेत देते हैं कि उच्च कैंसर दरों के कारण होने वाले संपर्कों में बदलाव सभी आयु समूहों में सामान्य हो सकते हैं और केवल युवाओं तक सीमित नहीं हैं। पहले युवाओं में बढ़ते हुए देखे गए कैंसर के प्रकार अब युवाओं और वृद्धों दोनों में बढ़ रहे हैं। इन कैंसर प्रकारों पर नए शोध अध्ययनों को केवल युवाओं पर केंद्रित करने के निहितार्थों पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाना चाहिए।
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