मैडम स्मृति ईरानी लगाना चाहती थीं पत्रकारों पर लगाम, देश भर में मीडिया की नाराजगी के बाद पीएम मोदी ने कहा नहीं होगा यह

नई दिल्ली। फेक न्यूज पर पत्रकारों की मान्यता रद्द करने के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वापस लेने को कहा है। पीएमओ ने पूरे मामले में दखल देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से कहा कि फेक न्यूज को लेकर जारी की गई विज्ञप्ति को वापस लिया जाना चाहिए। यह पूरा मसला प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और प्रेस संगठनों पर छोड़ देना चाहिए। पीएमओ ने कहा कि ऐसे मामलों में सिर्फ प्रेस काउंसिल को ही सुनवाई का अधिकार है।

फेक न्यूज पर लगाम कसने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से पत्रकारों के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए, जिसके तहत कहा गया कि ऐसी खबरों के प्रकाशन पर उनकी प्रेस मान्यता रद्द कर दी जाएगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने भी ट्वीट कर कहा है कि यह बताना उचित होगा कि फेक न्यूज के मामले पीसीआई और एनबीए के द्वारा तय किए जाएंगे, दोनों एजेंसियां भारत सरकार के द्वारा रेगुलेट या ऑपरेट नहीं की जाती हैं।

सरकार के दिशा-निर्देश पर कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि कहीं फेक न्यूज के नाम पर पत्रकारों को ऐसी खबरें बताने से रोकना तो नहीं है जिससे सरकार असहज महसूस करे। वहीं सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने अहमद पटेल के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि प्रेस परिषद और न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन जो कि सरकार का हिस्सा नहीं हैं, तय करेंगी की कौन सी खबर फर्जी है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया था कि अगर कोई पत्रकार फर्जी खबरें करता या इनका दुष्प्रचार करते हुए पाया जाता है तो उसकी मान्यता स्थाई रूप से रद्द की जा सकती है। पत्रकारों की मान्यता के लिये संशोधित दिशा निर्देशों के मुताबिक अगर फर्जी खबर के प्रकाशन या प्रसारण की पुष्टि होती है तो पहली बार ऐसा करते पाये जाने पर पत्रकार की मान्यता छह महीने के लिये निलंबित की जाएगी। दूसरी बार फेक न्यूज करते पाये जाने पर उसकी मान्यता एक साल के लिए निलंबित की जाएगी। तीसरी बार ऐसा होने पर पत्रकार की मान्यता स्थाई रूप से रद्द कर दी जाएगी। मंत्रालय ने कहा कि अगर फर्जी खबर के मामले प्रिंट मीडिया से संबद्ध हैं तो इसकी कोई भी शिकायत भारतीय प्रेस परिषद ( पीसीआई) को भेजी जाएगी।

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