पुनर्मूल्यांकन के बाद जारी हो पीसीएस 2017 प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित रिजल्ट : हाईकोर्ट

इलाहाबाद (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसले में पीसीएस 2017 की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम बदलने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि उप्र लोकसेवा आयोग प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम में संशोधन कर पुन: रिजल्ट जारी करे। इसमें गलत उत्तर विकल्प वाले एक सवाल को निरस्त करने और दो सवालों के उत्तर विकल्प सही करते हुए पुनर्मूल्यांकित करना है। कोर्ट ने यह भी कहा कि संशोधित परिणाम में सफल अभ्यर्थी ही मुख्य परीक्षा में शामिल होंगे।

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राहुल सिंह, अविनाश कुमार सिंह समेत 119 अभ्यर्थियों की याचिका निस्तारित करते हुए दिया। याचियों की तरफ से अधिवक्ता आलोक मिश्रा ने बहस की। कोर्ट ने कुछ सवालों के गलत उत्तर के चलते दोबारा परीक्षा कराने का आदेश जारी करने को औचित्यपूर्ण नहीं माना। हाईकोर्ट ने यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय के अनुराग त्रिपाठी केस के तहत दिया है। कोर्ट ने कहा कि उप्र लोकसेवा आयोग की गलती का खामियाजा अभ्यर्थियों को न भुगतना पड़े, इसलिए प्रारंभिक परीक्षा दोबारा कराने के बजाय पुनर्मूल्यांकन किया जाना ही सही होगा। इस आदेश से परिणाम में बड़ा उलटफेर होना तय है।

ऐसे होंगे बदलाव

कोर्ट ने कहा है कि प्रश्न पुस्तिका सीरीज ए, बी, सी, और डी के प्रश्न क्रमश: 67, 140, 44, 106 को रद किया जाए। यह एक ही प्रश्न है, जिसे चारों सीरीज में दिया गया है। ऐसे ही सीरीज ए, बी, सी और डी में प्रश्न 121, 44, 98, 70 के उत्तर विकल्प (सी) व (डी) को सही माना जाए। इसके अलावा प्रश्न संख्या 56, 129, 33, 105 के उत्तर विकल्प (डी) को सही मानकर पुनर्मूल्यांकन किया जाए। यानि कुल एक प्रश्न रद व दो प्रश्नों के उत्तर के विकल्प बदलकर मूल्यांकन होना हैं।

150 में 145 प्रश्नों का हुआ था मूल्यांकन

उप्र लोकसेवा आयोग की ओर से जवाबी हलफनामे में कहा गया कि आयोग को उत्तरकुंजी जारी करने के बाद 962 आपत्तियां मिली। सामान्य अध्ययन प्रथम के पांच सवाल पहले ही रद कर दिए गए थे। प्रश्नपत्र के कुल 150 प्रश्नों में 145 का मूल्यांकन किया गया। इसके लिए दो कमेटियां गठित की गई थी। 23 नवंबर 2017 तक आपत्तियां ली गईं। 24 नवंबर 2017 को उत्तर कुंजी वेबसाइट पर अपलोड की गई थी। 26 सदस्यीय कमेटी ने दो दिन का वर्कशाप चलाया। आपत्तियों की जांच की। विशेषज्ञ कमेटी की सिफारिशों के बाद 19 जनवरी 2018 को प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया। इसी परिणाम को याचिकाओं में चुनौती दी गई थी।

आयोग की गलती ठहराने को मजबूती से रखे साक्ष्य

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएस 2017 प्रारंभिक परीक्षा में जिन तीन प्रश्नों पर अपना निर्णय दिया है उसके संबंध में याचियों की ओर से साक्ष्य भी दिए गए। याचियों के अधिवक्ता की ओर से उन साक्ष्यों पर मजबूती से तर्क भी रखा गया। जिसके आधार पर कोर्ट ने दो प्रश्नों के उत्तर विकल्प को आयोग की गलती मानते हुए उसमें बदलाव कर तथा एक प्रश्न को ही रद कर पुन: परिणाम जारी करने का निर्देश दिया।

इन प्रश्नों पर आया हाईकोर्ट का निर्णय

जिसे रद किया जाना है

प्रश्न संख्या 106, निम्नलिखित लोहा और इस्पात कारखानों में से कौन कच्चे माल क्षेत्र के समीप नहीं है।

जिनके उत्तरों में बदलाव होने हैं

प्रश्न संख्या 10, निम्नलिखित में से समन्वित बाल विकास सेवा (आइसीडीएस) योजना के अंतर्गत कौन सी सेवा नहीं प्रदान होती है।

आयोग ने इस प्रश्न के उत्तर विकल्प ‘बी को सही माना है जबकि हाईकोर्ट ने ‘सी और ‘डी को सही माना है।

प्रश्न संख्या 105, निम्न में से कौन सा विशालतम हिमनद है।

इस प्रश्न के उत्तर विकल्प में आयोग ने ‘डी को सही माना है जबकि हाईकोर्ट ने ‘ए को सही माना है।

नोट : यह सभी प्रश्न संख्या (डी सीरीज) में हैं। अन्य ए, बी व सी सीरीज में यह प्रश्न अलग संख्या के साथ पूछे गए हैं।

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