इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ पर भी प्रश्नचिह्न, कुछ नेताओं पर घोषित है इनाम

जिस पीसीबी छात्रावास में रोहित शुक्ला की गोली मारकर हत्या की गई कुछ माह पहले इसी छात्रावास में सुमित शुक्ला को गोली मारी गई थी। इसके पीछे छात्र राजनीति के आपसी गुटबाजी को सबसे बड़ा कारण मान रहे हैं। ऐसी स्थिति में इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अस्तित्व पर ही संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यदि छात्र राजनीति से जुड़े लोग ऐसी ही गतिविधियों में लिप्त रहे तो विश्वविद्यालय प्रशासन कठोर निर्णय ले सकता है।

छात्रसंघ से जुड़े एनडी तिवारी से लेकर चंद्रशेखर तक की उपलब्धि रही है

विश्वविद्यालय के छात्रसंघ इतिहास से वाकिफ लोग इसके गौरवशाली अतीत को याद करते हैं। वह नारायण दत्त तिवारी से लेकर चंद्रशेखर तक का उदाहरण देते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों के छात्रसंघ को देखें तो कोई भी महत्वपूर्ण उपलब्धि छात्रसंघ के खाते में नजर नहीं आती है। छात्रसंघ का चुनाव लड़ चुके कई पदाधिकारी आज 25 हजार के इनामी हैं। हाल के दिनों में सुमित शुक्ला हत्याकांड में भी छात्र राजनीति का काला चेहरा उजागर हुआ था। दो साल पहले ताराचंद छात्रावास के सामने एक छात्र नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

व्यापारी व कोचिंग संचालक छात्रसंघ की गतिविधियों से नाखुश

इलाहाबाद शहर के कई व्यापारी और कोचिंग चलाने वाले संस्थान के निदेशक भी विश्वविद्यालय के छात्रसंघ की गतिविधियों से काफी नाराज बताए जाते हैं। चुनाव के समय उनसे जबरन चंदा वसूलने का आरोप छात्रसंघ पर लगता रहा है। अभी हाल के दिनों में छात्रसंघ चुनाव के दौरान कई दिनों तक ताबड़तोड़ गोलीबारी हुई और बम चले। पिछले साल भी चुनाव के दौरान ऐसी ही घटनाएं हुई थी। छात्रसंघ पिछले दो दशकों में किसी भी शैक्षणिक और अकादमी कार्यों को बढ़ावा देने में असफल रहा है।

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