कांग्रेस की तस्वीर को बदल सकती हैं प्रियंका गांधी, दिखेगा बड़ा असर

लखनऊ.NKB:- लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने अपना सबसे बड़ा कार्ड चल दिया है। कांग्रेस में प्रियंका गांधी वाड्रा की महासचिव के तौर पर इंट्री होने से यूपी की राजनीति ही नहीं देश की राजनीति पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की चालीस सीटों की कमान सौंपी गई है, जहां से उन्हें कांग्रेस प्रत्याशियों को जिताना है। ऐसे में प्रियंका गांधी के लिए यह बड़ी चुनौती तो होगी ही साथ ही विरोधियों के लिए भी 2019 का लोकसभा चुनाव आसान नहीं होगा।

प्रियंका गांधी ऐसी शख्सियत हैं। जिनमें लोग इंदिरा गांधी का अक्श देखते हैं। अभी तक पर्दे के पीछे से केवल अमेठी और रायबरेली लोकसभा की दो सीटों तक राजनीति करने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा की राजनीति में विधिवत इंट्री हो गई है। उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई है जहां से प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्य मंत्री आते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी वाराणसी तो सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से पांच बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। कांग्रेस पूर्वांचल की चालीस सीटों पर अपने प्रत्याशियों को बदल सकती है। अभी तक जो नाम चल रहे थे हो सकता है कि उनमें से काफी सीटों पर अब प्रियंका गांधी अपने मनपसंद के उम्मीदवार को उतार सकती हैं।

यहां कांग्रेस मजबूत होगी
देखा जाए तो वैसे तो कांग्रेस की स्थिति पूर्वी उत्तर प्रदेश में कोई खास अच्छी नहीं है। गोरखपुर, बस्ती, खलीलाबाद, डुमरियागंज, पडरौना, महाराजगंज, देवरिया, सलेमपुर, आजमगढ़, मछलीशहर, गाजीपुर, जौनपुर, बांसगांव, वाराणसी, चंदौली, मिर्जापुर, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, फैजाबाद, बहराइच, गोंडा, बलरामपुर समेत करीब चालीस सीटें हैं जिस पर कांग्रेस को अपनी मजबूरी साबित करनी होगी। माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी सके आने यहां कांग्रेस मजबूत होगी।

डुमरियागंज, महराजगंज, पडरौना में कांग्रेस की स्थिति बेहतर है। पडरौना और डुमरियागंध से कांग्रेस ने २००९ में जीत दर्ज की थी। वहीं कई सीटें ऐसी हैं जहां मुििस्लम मतदाता निर्णायक भूमिका में है। जिसका फायदा कांग्रेस को मिला सकता है। मुस्लिम और युवा वर्ग प्रियंका के आने से कांग्रेस की ओर जुड़ेगा।

2014 में थी सबसे ख़स्ता हालत कांग्रेस की 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपी में हालत 1998 के बाद सबसे ख़स्ता रही है। पिछले चुनाव में कांग्रेस कुल 66 सीटों पर ही लोकसभा का चुनाव लड़ा था। कुल 7.5 प्रतिशत वोटों के साथ कांग्रेस ने महज़ दो लोकसभा सीटें जीत रायबरेली से सोनिया गांधी 3,52,713 और अमेठी में राहुल गांधी स्मृति ईरानी से सिर्फ 1,07,903 वोटों से जीत पाए थे। इनके अलावा 6 सीटों पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी, लेकिन इन सभी सीटों पर हार जीत का बड़ा अंतर था। सबसे कम अंतर सहारनपुर सीट पर था। यहां इमरान मसूद 65 हजार वोटों से हारे थे। उसके बाद कुशीनगर लोकसभा सीट पर पूर्व मंत्री आरपीएन सिंह 85,540 वोट से हारे थे।सबसे ज्यादा वोटों से हारे थे गाजियाबाद से राज बब्बर उन्हें विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह के मुकाबले 567676 से हार का सामना करना पड़ा था। बाराबंकी से पी एल पुनिया 2,11,000 वोटों से हारे थे तो कानपुर से श्री प्रकाश जयसवाल 2,22,000 वोटों से चुनाव हारे थे। वहींं लखनऊ से गृहमंत्री राजनाथ सिंह के सामने रीता बहुगुणा 2,72,000 वोटों से चुनाव हारी थींं। कांग्रेस के करीब 50 उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हुई थी।

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