मोदी सरकार पर तंज : परीक्षा के एक दिन पहले पढ़ाई शुरू की
वाड्रा को सजा दिलायेंगे.. मंदिर भी बनायेंगे… भेगौड़ों को देश खीच कर लायेंगे.. नौकरियां देंगे.. मंहगाई पर काबू करेंगे… अखिलेश – माया और ममता सरकारों के भ्रष्टाचार साबित करेंगे….. सरकार के इन नेक कामों ने आखिरी वक्त क्यों तेजी पकड़ी! साढ़े चार वर्ष तक क्यों सोती रही सरकार ?
ऐसे तमाम सवाल उठने लगे हैं। विरोधी ही नहीं भाजपा सरकार के समर्थक भी अब ऐसे तंज कर रहे हैं।
पढ़ाई में दिल नहीं लगाने वाले बच्चे साल भर नहीं पढ़ते। परीक्षा के एक दिन पहले पढ़ने बैठते है और पास होना चाहते हैं। इतने तंग वक्त में ना तो ये पढ़ाई कर पाते हैं और ना इनकी परीक्षा अच्छी होती है। ऐसे में इनके एक्जाम का रिजल्ट राम भरोसे ही होता है।
किन्तु लोकसभा चुनाव का नतीजा तो राम भरोसे भी नहीं हो सकता। इन्होंने तो राम का भी भरोसा तोड़ दिया। उम्मीद थी कि भाजपा की ताकतवर मोदी सरकार अयोध्या में राम मंदिर तो बनवा ही देगी। ये भी नहीं किया। तो किया क्या आखिर ! सिर्फ अतीत की खामियों और भविष्य के सपनों से कब तक बहली रहेगी जनता !
भारतीय जनता पार्टी और भाजपा किंग नरेंद्र मोदी को सातवें आसमान पर बैठा देने वाली सोशल मीडिया अब कुछ खफा-खफा सी नजर आ रही है। उम्मीदी का बांध टूटता दिख रहा है। अपनों की भी नाराजगी नजर आने लगी है। लोगों का रुख बदला-बदला लग रहा है। कोई नोटा का सोटा चलाने की बात कर रहा है तो कोई कह रहा है कि ‘माया मिली ना राम’ । यानी सरकार ना रोजगार दे पाई और ना ही राम भक्तों की बरसों पुरानी ख्वाहिश पूरी कर पायी। विजय कश्यप लिखते हैं- मंहगाई, बेरोजगारी सब बर्दाश्त हो जाती यदि राम मंदिर का निर्माण हो जाता तो देश की जनता भाजपा का ये एहसान कभी नहीं भूलती। कमलेश कहते हैं- आधी रोटी खायेंगे मंदिर वहीं बनायेंगे। करोड़ों लोगों के ये नारे मोदी सरकार से साफ इशारा कर रहे थे कि आप कुछ कर सको या ना कर सको वादे के मुताबिक मंदिर बनवा दो।
ऐसी नाराजगी की भावनाओं के साथ ही व्यंग के बाढ़ चल रहे हैं। भाजपा सरकार की तुलना साल भर ना पढ़ने वाले उस बच्चे से की जा रही है जो परीक्षा के एक दिन दिनों रात पढ़कर पास होने की कोशिश करता है।
सवाल उठ रहे हैं- क्या वाड्रा ने अभी कोई अपराध किया है ! क्या ममता, अखिलेश और ममता सरकारों ने अभी घोटाले किये हैं !
लगभग पांच साल निकल चुके हैं तो केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों ने अब कथित घोटालेबाजों के खिलाफ कार्रवाई तेज की। जब चुनाव सिर पर आये तो श्री राम की मंदिर बनाने के संकल्प फिर गूंजने लगे।
कार्यकाल निकल गया। पांच साल गुजर गये। अब पछताए तो क्या, जब चिड़िया चुग गयी खेत।
-नवेद शिकोह