बल्ला न जूते, बना ली झारखंड अंडर-16 क्रिकेट टीम में जगह; बुलंदियों की ओर बढ़ा रहा कदम

एक कहावत है पूत के पांव पालने में दिखाई देते हैं। इस मुहावरे को धरातल पर सच साबित कर रहा है गिरिडीह शहर के बरगंडा दुर्गा आश्रम का किशोर अंकित कुमार उर्फ मोंटी। गरीबी से जूझ रहे अंकित के पास न पहनने को अच्छे जूते हैं और न ही था खेलने को बल्ला और गेंद। पर, जज्बे में तनिक भी कमी नहीं। इसी के दम पर झारखंड अंडर-16 क्रिकेट टीम में उसने स्थान बना लिया है। उसके साथियों ने ही उसे जूते व बल्ला उपलब्ध कराया है। हाल में हुई राष्ट्रीय क्रिकेट प्रतियोगिता में उसने ओडिशा व त्रिपुरा के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया है। 

अंकित के पिता अशोक राणा वाहन चालक हैं। उनको रोज काम भी नहीं मिलता इससे घर की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है। इसके बाद भी उनका पुत्र लगन और मेहनत से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। झारखंड स्टेट अंडर-16 टीम में आज वह स्थान बना चुका है। बाएं हाथ के बल्लेबाज होने के साथ वह लेग स्पिन गेंदबाज भी है। आज वह अपनी टीम का भरोसेमंद ऑलराउंडर है।

साथियों की मदद से बढ़ चला मंजिल की ओर

अंकित कुमार के संघर्ष की एक अलग दास्तां है। क्रिकेट खेलने के लिए उसके पास न तो जूते थे और न ही बल्ला। जब वह झारखंड की ओर से खेलने के लिए ओडिशा गया तो उसे बैट व मोबाइल उसके साथियों ने उपलब्ध कराया है। उसे सात साल से क्रिकेट का प्रशिक्षण दे रहे कोच पूर्व रणजी क्रिकेटर संतोष तिवारी ने बताया कि उसका समर्पण भाव उसे एक दिन बुलंदियों तक ले जाएगा।

अंतर जिला प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन बना चयन का आधार

अंकित को उसके दादा 2011 में लेकर आए थे। तब वह बहुत छोटा था। परिवार की हालत दयनीय नहीं थी। पर, वह एक प्रतिभा संपन्न खिलाड़ी था। उन्होंने व उसके साथ प्रशिक्षण ले रहे अन्य साथी खिलाड़ियों ने भी उसे सहयोग किया। साथियों के जूते पहनकर व बल्ला लेकर वह अभ्यास करता था। तीन साल से अंतर जिला क्रिकेट टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन कर रहा था। इसी आधार पर इस बार उसका चयन अंडर-16 राज्य टीम में हो गया।

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