प्रशासनिक अफसर का वीआईपी कल्चर

— प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के आदेशों को धता साबित कर रहे अफसर 

— कलेक्ट्रेट में नीली बत्ती लगी गाड़ी से पहुंचे नए साहब

— प्राइवेट कार पर नीली बत्ती का रुआब गांठते दिखे जिले के अफसर

एंकर — देश भर में प्रधानमंत्री के आवाहन के बाद भले ही वीआईपी कल्चर का प्रवधान खत्म हो गया हो लेकिन सरकार के इन नियमो का पालन कराने वाले खुद ही नियमो को ताख पर रख कर कानून की धज्जियां उड़ाने में लगे हुए है। 

प्रधानमंत्री के कहने पर सूबे में वक़्त से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने  भले ही लाल-नीली बत्ती संस्कृति पर विराम लगाने के आदेश दिए हैं, लेकिन अभी भी अफसर बत्ती का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। ऐसा ही वाक़या तब सामने आया जब कलेक्ट्रेट परिसर में खड़ी एक नीली बत्ती लगी एक निजी कार चर्चा विषय बन गई। 

दरअसल अमरोहा जनपद से तबादला होकर आए एडीएम हरदोई की कार नीली बत्ती का रुआब झाड़ते हुए कलेक्ट्रेट परिसर पहुंची , ये हाल तब है जब जिले के मालिक जिलाधिकारी ने तक वीआईपी कल्चर त्याग दिया लेकिन ये साहब है कि खुमारी से बाहर अब तक न आ सके।

वीओ — प्रधानमंत्री की ओर से मंत्रियों एवं अफसरों से लाल-नीली बत्ती के प्रयोग पर विराम लगाए जाने के लिए कहे जाने के बाद शासन ने बत्ती के प्रयोग पर रोक लगाए जाने एवं इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अधिकारियों को आदेश भी जारी किए हैं। लेकिन कलेक्ट्रेट परिसर में अचानक एक नीली बत्ती लगी कार पर लोगों की नजर पड़ी तो वह चर्चा का विषय बन गया।

दरअसल हरदोई एडीएम डॉक्टर बिपिन कुमार मिश्रा का तबादला लखनऊ परीक्षा नियंत्रक पद पर हुआ तो उनकी जगह अमरोहा में तैनात रहे विमल कुमार अग्रवाल को हरदोई का एडीएम बनाया गया है, वो जैसे ही हरदोई पहुंचे उनकी नीली बत्ती लगी सैंट्रो कार चर्चा का विषय बन गयी , हालांकि उनसे जब इस बाबत सवाल जवाब किये गए तो उन्होंने इसे ड्राइवर की गलती करार देते हुए लाइट को उतरवाया, लेकिन सवाल ज़रूर खड़ा होता है कि कानून की बात करने वाले अफसरों पर क्या कोई कानून लागू नही होता।

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