देश की शान तिरंगे के बारे में जाने कुछ दिलचस्प और अनजाने पहलू

गणतंत्र दिवस करीब है। इसे लेकर पूरे देश में उल्‍लास का माहौल है। जगह-जगह राष्‍ट्रीय ध्‍वज दिखने लगा है। हालांकि इसके मद्देनजर केंद्र सरकार ने आमलोगों से प्लास्टिक से बना तिरंगा झंडा न फहराने की अपील की है। गृह मंत्रालय ने फ्लैग कोड का हवाला देते हुए कहा है कि राष्ट्रीय ध्वज जनता की उम्मीदों व आकांक्षाओं का प्रतीक होता है, इसलिए उसे पूरा सम्मान दिया जाना चाहिए। प्लास्टिक के झंडे बायोडिग्रेडेबल नहीं होते, जिससे उनका सही से डिस्पोजल नहीं हो सकता। आइए जानते हैं कि अपने तिरंगे से जुड़ी कुछ दिलचस्‍प और जरूरी बातें…

देश की शान तिरंगे के बारे में जाने कुछ दिलचस्प और अनजाने पहलू

22 जुलाई, 1947 को भारत की संविधान सभा की बैठक में राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरूप को स्वीकार किया गया था। तीन रंगों के कारण इसे तिरंगा भी कहते हैं, जिसे पिंगाली वेंकैया ने डिजाइन किया था। भारतीय स्टैंडर्ड ब्यूरो को इसके निर्माण, डिज़ाइन और सही इस्तेमाल के लिए नियमन करने का अधिकार दिया गया है।

राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण खासतौर पर ख़ादी के कपड़े से होता है। खादी के लिए कॉटन, सिल्क और वूल के अलावा किसी और कपड़े के इस्तेमाल की सख्त मनाही है। झंडा दो प्रकार के ख़ादी से तैयार होता है- ध्वज के ढांचे को बनाने के लिए ख़ादी ध्वजपट और पोल को थामे रखने व ध्वज के अंतिम छोर को तैयार करने के लिए मटमैले रंग का कपड़ा अर्थात् ख़ादी-ड्क। साथ ही कपड़े के हर एक वर्ग सेंटीमीटर पर केवल 150 धागे ही रहते हैं। एक सिलाई पर चार धागे, जबकि एक वर्ग फीट कपड़े का वजन 205 ग्राम ही होना चाहिए।

भारत का राष्ट्रीय ध्वज एक राष्ट्रीय प्रतीक है जिसे क्षैतिज आयताकार में बनाया गया है। इसकी चौड़ाई से इसकी लंबाई का अनुपात २:३ है। तीनों रंग बराबर अनुपात में होते हैं। सबसे ऊपर गहरा केसरिया बीच में सफेद और सबसे नीचे हरा होता है। सफेद रंग के बीचों-बीच नीले रंग का अशोक चक्र बना होता है, जिसमें 24 तीलियां होती हैं।

रंगों के मायने :

तिरंगे के तीनों रंगों व अशोक चक्र का अपना अर्थ है। केसरिया रंग बलिदान का प्रतीक है। यह राष्ट्र के प्रति हिम्मत और नि:स्वार्थ भावना को दिखाता है। त्याग को इंगित करता है और लोगों को एकजुट बनाता है। सफेद रंग राष्ट्र की शांति, शुद्धता और ईमानदारी को प्रदर्शित करता है। भारतीय दर्शनशास्त्र के मुताबिक, सफेद रंग स्वच्छता और ज्ञान को भी दर्शाता है। इसी तरह, हरा रंग विश्वास, उर्वरता, खुशहाली,समृद्धि और प्रगति को इंगित करता है। यह देश की धरती पर हरियाली को दिखाता है।

अशोक चक्र और 24 तीलियां :

अशोक चक्र को धर्म चक्र माना जाता है जो समय चक्र भी कहलाता है। यह राष्ट्र में मजबूत संबंध और बुद्ध में विश्वास को भी दर्शाता है। इसके बीच का नीला रंग, ब्रह्मांड की सच्चाई, आकाश और समुद्र के रंग को भी प्रदर्शित करता है। 24 तीलियां जीवन अर्थात प्रेम, बहादुरी, धैर्य, शांति, उदारता, अच्छाई, भरोसा, सौम्यता, नि:स्वार्थ भाव, आत्म-नियंत्रण, आत्मबलिदान, सच्चाई, नेकी, न्याय, दया, आकर्षणशीलता, नम्रता, हमदर्दी, संवेदना, धार्मिक ज्ञान, नैतिक मूल्य, धार्मिक समझ, भगवान का डर और भरोसे को दर्शाती हैं।

भारतीय ध्वज नियमावली :

26 जनवरी, 2002 को संशोधित भारतीय ध्वज नियमावली-2002 के रूप में प्रभावी हुआ। इसके तीन भाग हैं। पहले में राष्ट्रीय ध्वज के सामान्य विवरण दिए गए हैं। दूसरे में सरकारी, निजी संस्था और शिक्षण संस्थानों द्वारा इसके उपयोग को लेकर दिशा-निर्देश हैं। जबकि तीसरे भाग में केंद्रीय, राज्य सरकार तथा इनकी एजेंसियों द्वारा इसके इस्तेमाल को लेकर हिदायतें दी गई हैं।

अपमान करने पर सजा :

प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टु नेशनल ऑनर एक्ट 1971 की धारा 2 के तहत अगर किसी सार्वजनिक या अन्य स्थान पर लोगों की मौजूदगी में कोई तिरंगे झंडे को जलाने, नुकसान पहुंचाने,अनादर या छेड़छाड़ करने की कोशिश करता है, तो उसे तीन साल की सजा या जुर्माना या दोनों ही हो सकते हैं।

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