
यूपी भाजपा के अध्यक्ष पंकज चौधरी ने पद संभालने के बाद सीएम योगी के पैर छुए। इसके बाद राजनीतिक तौर पर अटकले लगने का दौर शुरू हो गया।
राजनीति में जो कुछ मुंह से कहा जाता है, उससे ज्यादा प्रतीकों के जरिये बताया जाता है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व संभालने के बाद पंकज चौधरी ने गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के पैर छूकर उस अफवाह को विराम दे दिया है, जिसमें दोनों के बीच दूरी की बात कही जाती रही है। चौधरी ने यह संदेश देने की कोशिश कि सरकार व संगठन के बीत तालमेल न होने के आरोप बेबुनियाद हैं।
पंकज ने जिस तरह से सरकार व संगठन के बीच खुद को एक मजबूत सेतु के तौर पेश किया है, उससे साफ है कि विधानसभा चुनाव 2027 में सरकार व संगठन एक लक्ष्य, एक विचार और सामूहिक जिम्मेदारी के साथ विपक्ष का मुकाबला करेंगे। नए प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन की घोषणा के लिए डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित मेगा इवेंट में नए अध्यक्ष की घोषणा के साथ ही सरकार व संगठन के आपसी समन्वय को लेकर नई आधारशिला भी रखी गई।
अतीत की चर्चा को तिलांजलि देकर पंकज चौधरी ने यह भी संदेश देने की कोशिश की है कि पहले भले ही कुछ रहा हो लेकिन समय, संयोग और समीकरणों ने बहुत कुछ बदल दिया है। पंकज ने योगी के पैर छुए और जवाब में योगी ने जो कुछ कहा, उससे साफ हो गया कि दोनों के बीच दूरी की बात दूर की बात हो गई है। अब सरकार और संगठन मिलकर नई इबारत लिखने को तैयार हैं।
समन्वय और सहमति का दिया संदेश
वैसे चौधरी ने पैर तो पूर्व अध्यक्ष और पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. रमापति राम त्रिपाठी के भी छुए लेकिन योगी के पैर छूना बहुत कुछ कह गया। पैर छूकर उन्होंने सम्मान तो दोनों के प्रति प्रदर्शित किया लेकिन योगी के पैर छूना और उसके बाद चौधरी का कुछ मुद्दों पर विशिष्ट शैली में अपनी बातें रखना संदेश दे गए कि सत्ता और संगठन में न सिर्फ सामंजस्य रहेगा बल्कि पूर्ण समन्वय व सहमति से फैसले होंगे। सरकार के काम में संगठन सहायक व सारथी की भूमिका निभाएगा तो कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं को सम्मान दिलाने पर पूरा ध्यान दिया जाएगा।
योगी-चौधरी के बीच कुछ खोजनेवालों को मिलेगी सिर्फ निराशा
पंकज चौधरी का मुख्यमंत्री के प्रति सम्मान जताना यह भी बता गया कि वह जानते हैं, 2027 की चुनौती से पार पाने में योगी और उनकी हिंदुत्ववादी छवि की भूमिका महत्वपूर्ण रहने वाली है। जिस तरह 2027 के एजेंडे पर साथ काम करने और तीसरी बार भाजपा सरकार बनाने का संकल्प घोषित किया गया, उससे साफ हो गया कि चौधरी और योगी की जोड़ी के बीच कुछ अलग तलाशने वालों को निराशा ही मिलने वाली है।