
मध्य प्रदेश में हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ रही है और अब राजधानी भोपाल भी गंभीर प्रदूषण की चपेट में है। हालात इतने गंभीर हैं कि राज्य के कई शहर अब दिल्ली जैसी प्रदूषण श्रेणी में पहुंच गए हैं। सिंगरौली सबसे प्रदूषित शहर बनकर उभरा है, जहां ट्रॉमा सेंटर पर AQI 356 दर्ज किया गया। वहीं भोपाल भी खतरनाक स्थिति में टीटी नगर में AQI 347, कलेक्ट्रेट में 321 और पर्यावरण परिसर में 303 रिकॉर्ड हुआ। तीनों लोकेशन Very Poor कैटेगरी में आ गए हैं। ग्वालियर में महाराज बाड़ा और डीडी नगर की हवा AQI 308 और 309 तक पहुंची, जबकि इंदौर के छोटी ग्वालटोली में AQI 304 मिला। प्रदेश के कई औद्योगिक शहर-पीथमपुर, मंडीदीप और सागर में भी एक्यूआई 300 से ऊपर रहा।
पराली और निर्माण कार्य से बढ़ रहा प्रदूषण
विशेषज्ञों का कहना है कि राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के पीछे निर्माण स्थलों की धूल और आसपास के क्षेत्रों में जलाई जा रही पराली प्रमुख कारण हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, इस महीने शहर के आसपास पराली जलाने के 50 से अधिक मामले दर्ज किए गए। इसके साथ ही उखड़ी सड़कें, खुले में जमा मलबा और निर्माण गतिविधियों से उड़ने वाली बारीक धूल भी हवा की गुणवत्ता को खराब कर रही है।
ट्रैफिक पीक ऑवर में फॉगर का इस्तेमाल
नगर निगम ट्रैफिक के अधिक दबाव वाले समय-सुबह 9 से 12 बजे और शाम 4 से 6 बजे-फॉगर मशीनों से धूल को दबाने का काम कर रहा है। कई मुख्य सड़कों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव और सफाई की जा रही है।
रात में क्यों बढ़ जाता है PM 2.5 स्तर
शहर में PM10 का स्तर लगातार ऊंचा है, जिसका मुख्य कारण सड़क धूल और वाहन प्रदूषण है। वहीं PM2.5 की मात्रा रात 8 बजे से सुबह 4 बजे के बीच सबसे अधिक दर्ज की जाती है। ठंड के मौसम में धुआं और प्रदूषक गैसें वातावरण में ऊपर नहीं उठ पातीं और जमीन के पास जमा रहती हैं। इसलिए रात का समय सबसे ज्यादा प्रदूषित होता है।