
कढ़ी पत्ता मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय व्यंजनों की जान माना जाता है। इडली, डोसा, वड़ा और उपमा, ये सभी पकवान नारियल की चटनी और साम्भर के साथ खाए जाते हैं, लेकिन जब बात इन डिशेज को तड़का देने की आती है, तो बिना कढ़ी पत्ते के, इनका स्वाद फीका पड़ जाता है। कढ़ी पत्ता, राई और उड़द दाल के साथ मिलकर एक ऐसा मैजिक क्रिएट करता है जो सीधे आपके दिल को छू लेता है।
इडली और डोसा
सोचिए, आपने गरमा-गरम इडली या क्रिस्पी डोसा बनाया है, लेकिन जब तक इसके साथ परोसी जाने वाली नारियल की चटनी और साम्भर में कढ़ी पत्ते और राई का तड़का न लगे, क्या मजा आएगा? साम्भर को जो अनोखी खट्टी-मीठी खुशबू कढ़ी पत्ता देता है, वो कोई और मसाला नहीं दे सकता।
पोहा
सुबह के नाश्ते की जान, पोहा, कढ़ी पत्ते के बिना फीका है। पोहा बनाते समय तेल में राई, हरी मिर्च और ढेर सारे कढ़ी पत्ते डालकर जो तड़का तैयार होता है, वही पोहे को एक स्वादिष्ट और चटपटा स्वाद देता है। यह पत्ता न केवल स्वाद बढ़ाता है, बल्कि इसे एक शानदार हरी-भरी लुक भी देता है।
लेमन राइस
अगर आप जल्दी में हैं और कुछ हल्का-फुल्का, चटपटा खाना चाहते हैं, तो लेमन राइस से बेहतर कुछ नहीं। इस व्यंजन में मूंगफली, चना दाल, सरसों और कढ़ी पत्ते का तड़का ही मुख्य स्वाद होता है। कढ़ी पत्ते का हल्का तीखापन और खट्टी नींबू की महक मिलकर इसे एक लाजवाब डिश बनाते हैं।
उपमा
उपमा एक ऐसा नाश्ता है जो भारत के कई हिस्सों में बहुत पॉपुलर है। सादा दिखने वाले उपमा में जब घी या तेल में राई, उड़द दाल, काजू और कढ़ी पत्ते का तड़का लगता है, तो इसकी खुशबू दूर तक फैल जाती है। कढ़ी पत्ता उपमा को केवल स्वाद ही नहीं देता, बल्कि इसे पाचन के लिए भी बेहतर बनाता है।
रसम
रसम, जो टमाटर, इमली और मसालों से बना एक पतला, सूपी व्यंजन है, पाचन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। रसम की सबसे खास बात उसका अंतिम तड़का होता है, जिसमें तेल, राई, हींग और कढ़ी पत्ते का इस्तेमाल होता है। यह तड़का रसम के तीखे, खट्टे स्वाद को एक खास गहराई और खुशबू देता है, जिसके बिना रसम का मजा अधूरा है।
कढ़ी पत्ता सिर्फ एक मसाला नहीं, यह भारतीय व्यंजनों की एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो हमारे खाने को एक अलग ही पहचान देती है। इसलिए अगली बार जब आप इन डिशेज को बनाएं, तो कढ़ी पत्ते का तड़का देना बिल्कुल न भूलें।