गुरु-शिष्य चुनावों से डीयू बना राजनीति का अखाड़ा…

दिल्ली विश्वविद्यालय इन दिनों गुरु-शिष्य चुनाव के कारण राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। बीते कई दिन से डीयू के कॉलेजों में शिक्षक राजनीति हावी है, अब इन दिनों छात्र राजनीति भी जोर पकड़ने लगी है।

एक ओर जहां शिक्षक अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए डूटा चुनाव के प्रचार अभियान में जुटे हैं, वहीं तमाम छात्र संगठनों के संभावित प्रत्याशियों ने भी कॉलेज-कॉलेज घूम कर प्रचार कर जीत की हवा बना रहे हैं। चुनावी माहौल होने के कारण कॉलेजों में पढ़ाई कम ही हो पा रही है।

दिल्ली विश्वविद्यालय में चार सितंबर को दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ चुनाव होने हैं। इसके लिए अगस्त के तीसरे सप्ताह से कैंपस का माहौल राजनीति के रंग में रंगा हुआ है। चार से ही मतगणना शुरू हो जाएगी। शुक्रवार-शनिवार तक नतीजे आने लगेंगे।

वहीं 18 सितंबर को दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव होने हैं। इसके लिए संभावित प्रत्याशी प्रचार करने में जुटे हैं, लेकिन 10 सितंबर को प्रत्याशियों के नाम सामने आने के बाद से प्रचार में तेजी आएगी।
कॉलेजों में पढ़ाई हो रही कम
नया सत्र शुरू होते ही सबसे पहले शिक्षकों की चुनावी गतिविधियां तेज हुईं। वहीं छात्र संगठन एबीवीपी, एनएसयूआई, आइसा और एसएफआई अपने-अपने तरीके से छात्रों तक पहुंच बनाने में जुटे हैं। चुनाव प्रचार में जुटे होने से शिक्षक कम समय के लिए ही कक्षाओं तक पहुंच रहे हैं। जो पहुंच रहे हैं वहां डूूसू चुनाव के प्रत्याशी पहुंच कर प्रचार करने लग जाते हैं। इस कारण से पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।

छात्रों की शिकायत है कि बीते एक सप्ताह से तो कहने के लिए ही कक्षाएं लग रही हैं। डूटा के चुनाव चार सितंबर को संपन्न होने के बाद पांच व छ: सितंबर तक रिजल्ट जारी होने की उम्मीद है। वहीं डूसू के चुनाव इस बार सप्ताह के मध्य में है और 19 सितंबर तक रिजल्ट जारी हो जाएगा। रिजल्ट के बाद पदाधिकारियों के जीत का जश्न चलता रहता है। 21 सितंबर को रविवार है। इस तरह से पूरी तरह से पढ़ाई 22 सितंबर के बाद ही शुरू होने की उम्मीद है।

 

 

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