छांगुर: नेपाल सीमा से सटे गांवों में खोलना चाहता था धर्मांतरण के अड्डे
छांगुर पर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। जांच में सामने आ रहा है कि नेपाल से सटे गांवों में धर्मांतरण का अड्डा स्थापित करने में जुटा था। इसके लिए उसने टीम तैयार की थी।
धर्मांतरण व देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार छांगुर नेपाल से सटे गांवों में धर्मांतरण का अड्डा स्थापित करने में जुटा था। इसके लिए उसने टीम तैयार की थी। यहीं से वह नेपाल में पैठ बनाने के प्रयास में था। इसके लिए 46 गांवों के युवाओं पर उसकी नजर थी। तकरीर के बहाने वह जलसों में परचे बांटकर यह जानने की कोशिश करता था कि सीमावर्ती युवाओं की सोच कैसी है। जिहाद के प्रति उनका नजरिया कैसा है।
चिह्नित युवाओं को छांगुर धन देकर मजबूत बनाना चाहता था। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार सीमा पर इस्लामिक मूवमेंट के लिए करीब 10 करोड़ की रकम खर्च करने की तैयारी थी। देश विरोधी यह षड्यंत्र सफल होता उससे पहले छांगुर की असलियत सामने आ गई।
यह अलग बात है कि अगस्त 2024 में छांगुर के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के आठ महीने तक बस जांच ही होती रही। कार्रवाई में तेजी मार्च के बाद ही आई। अप्रैल में बेटे के साथ सहयोगी नवीन रोहरा की गिरफ्तारी के बाद से छांगुर से लोग कन्नी काटने लगे थे। एटीएस अभी छांगुर से पूछताछ कर रही है। रिमांड कस्टडी में अभी दो दिन शेष है।
छांगुर के करीबियों की तेजी से बढ़ रही थी संपत्ति
वर्ष 2015 में छांगुर एक पुरानी बाइक से अंगूठी और नग बेचने का काम करता था। 2020 के बाद उसकी संपत्तियां बढ़नी शुरू हुईं। देखते ही देखते वह लग्जरी वाहनाें से चलने लगा और 2022 तक तो उसकी ठसक इस कदर थी कि क्षेत्र के बड़े-बड़े लोग भौचक रहते थे।
वाहनों के साथ ही रहन-सहन में भी परिवर्तन आया। यही नहीं, उसके करीबियों की संपत्तियां भी तेजी से बढ़ने लगीं। एटीएस ने छांगुर से जुड़े 18 लोगों को आरोपी बनाया है। सभी की संपत्तियां भी बढ़ी हैं। सूत्रों के अनुसार छांगुर के पास विदेशों से रुपये आने लगे तो उसकी चाल-ढाल भी बदली और अपने सहयोगियों पर भी वह खर्च करने लगा।
एटीएस की जांच में भी यह सामने आया कि तीन-चार वर्षों में बड़े पैमाने पर संपत्तियों में इजाफा हुआ। करीबियों की पड़ताल अभी हो रही है। एटीएस को छांगुर के 14 अन्य सहयाेगियों की तलाश है, जिनसे अहम जानकारी हासिल हो सकेगी।
खलिहान, तालाब और चरागाह की जमीन पर कर रहा था कब्जे का प्रयास
छांगुर अपने मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी जमीनों को कब्जाने की फिराक में था। वर्ष 2022 से ही उसकी नजर विवादित और सरकारी जमीनों पर पड़ी थी। सरकारी जमीनों पर वह मजार और मदरसा खोलने की तैयारी कर रहा था। उतरौला में ही उसने दो स्थानों पर कब्जा किया था।
एक पर कोठी बना ली, जिसे प्रशासन ने गिरा दिया, दूसरे की छानबीन हो रही है। एटीएस की जांच में भी सामने आया है कि स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की मदद से छांगुर सरकारी जमीनों को हड़प रहा था। उतरौला के साथ ही वह आसपास के गांवों की सरकारी जमीनों को भी कब्जाने की तैयारी में था। ऐन वक्त पर एटीएस ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
उतरौला में छांगुर ने तहसील कर्मियों से मिलीभगत करके एक बड़े तालाब की जमीन को अपने नाम दर्ज करा लिया। इसी जमीन को 12 नवंबर 2023 को नीतू रोहरा के नाम बेच भी दिया। इस खरीद-बिक्री में एक करोड़ रुपये का भुगतान नीतू से लिया जाना भी बैनामे में दर्शाया गया। छांगुर की नजर लालगंज, रेहरामाफी, चपरहिया, बनघुसरा की सरकारी जमीनों पर भी थी।
अधिशाषी अधिकारी की आपत्ति के बाद भी जमीन की हो गई बिक्री
उतरौला नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी ने तालाब की जमीन पाटने की जानकारी की रिपोर्ट प्रशासन को भेजी थी। 24 जून 2022 को ईओ ने एडीएम को भेजी रिपोर्ट में कहा था कि तालाब की भूमि को छांगुर पटवा रहा है, इसे रोका जाए। इसके बाद छांगुर ने बड़ा दांव चला और तालाब की जमीन का बैनामा नीतू के नाम करके एक करोड़ रुपये ले लिए। एटीएस का मानना है कि यह कारनामा तहसील कर्मियों की सांठगांठ से ही संभव हो सका।