राफेल पर राहुल का हमला, क्या बीजेपी के महाकुंभ में जवाब देंगे PM मोदी?

राफेल डील पर उपजे विवाद के कारण केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बैकफुट पर नज़र आ रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्षी पार्टियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने में जुटी हुई हैं. राहुल गांधी लगातार इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं. और अब इस बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनावी बिगुल फूकेंगे.राफेल डील पर उपजे विवाद के कारण केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बैकफुट पर नज़र आ रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्षी पार्टियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने में जुटी हुई हैं. राहुल गांधी लगातार इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं. और अब इस बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनावी बिगुल फूकेंगे.  ऐसा नहीं है कि इस मुद्दे के सामने आने के बाद अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक सभाएं नहीं की हैं. लेकिन डील पर विवाद सामने आने के बाद प्रधानमंत्री की ये पहली चुनावी रैली है. ऐसे में सभी की नज़रें इस बात पर हैं कि क्या प्रधानमंत्री राफेल के मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ेंगे या नहीं.  दरअसल, जिस तरह से पिछले दिनों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस, रैली, सोशल मीडिया के जरिए प्रधानमंत्री को घेरा है, उससे सरकार बैकफुट पर है. सरकार की तरफ से वित्त मंत्री अरुण जेटली, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण समेत दिग्गज मंत्री इस पर अपनी राय रख चुके हैं.  अरुण जेटली तो लगातार ब्लॉग और सोशल मीडिया के जरिए राहुल गांधी को जवाब दे रहे हैं. लेकिन प्रधानमंत्री अभी तक चुप हैं. अब क्योंकि आज भोपाल में प्रधानमंत्री के सामने पार्टी के ही अपने ही कार्यकर्ता बड़ी मात्रा में मौजूद होंगे तो वह इसपर चुप्पी तोड़ सकते हैं.  कांग्रेस तो इस मुद्दे को छोड़ने का नाम नहीं ले रही है, कांग्रेस ने बीते दिनों राफेल विवाद पर पूरे देश में 100 से अधिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो प्रधानमंत्री को चोर तक कह दिया, सोमवार को ही उन्होंने ट्वीट कर प्रधानमंत्री को 'कमांडर इन थीफ' बताया था.  फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का बयान सामने आने के बाद कांग्रेस का रुख और भी आक्रामक हुआ है. ओलांद ने इंटरव्यू में कहा कि मोदी सरकार ने उन्हें अंबानी की कंपनी का नाम सुझाया था, जिसपर कांग्रेस आगबबूला है.  क्या हैं कांग्रेस के आरोप?  राहुल गांधी और कांग्रेस पिछले कई महीनों से यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि मोदी सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसाल्ट से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का जो सौदा किया है, उसका मूल्य पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में विमानों की दर को लेकर जो सहमति बनी थी उसकी तुलना में बहुत अधिक है. इससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.  पार्टी ने यह भी दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौदे को बदलवाया और एचएएल से ठेका लेकर रिलायंस डिफेंस को दिया गया.

ऐसा नहीं है कि इस मुद्दे के सामने आने के बाद अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्वजनिक सभाएं नहीं की हैं. लेकिन डील पर विवाद सामने आने के बाद प्रधानमंत्री की ये पहली चुनावी रैली है. ऐसे में सभी की नज़रें इस बात पर हैं कि क्या प्रधानमंत्री राफेल के मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ेंगे या नहीं.

दरअसल, जिस तरह से पिछले दिनों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस, रैली, सोशल मीडिया के जरिए प्रधानमंत्री को घेरा है, उससे सरकार बैकफुट पर है. सरकार की तरफ से वित्त मंत्री अरुण जेटली, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण समेत दिग्गज मंत्री इस पर अपनी राय रख चुके हैं.

अरुण जेटली तो लगातार ब्लॉग और सोशल मीडिया के जरिए राहुल गांधी को जवाब दे रहे हैं. लेकिन प्रधानमंत्री अभी तक चुप हैं. अब क्योंकि आज भोपाल में प्रधानमंत्री के सामने पार्टी के ही अपने ही कार्यकर्ता बड़ी मात्रा में मौजूद होंगे तो वह इसपर चुप्पी तोड़ सकते हैं.

कांग्रेस तो इस मुद्दे को छोड़ने का नाम नहीं ले रही है, कांग्रेस ने बीते दिनों राफेल विवाद पर पूरे देश में 100 से अधिक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो प्रधानमंत्री को चोर तक कह दिया, सोमवार को ही उन्होंने ट्वीट कर प्रधानमंत्री को ‘कमांडर इन थीफ’ बताया था.

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का बयान सामने आने के बाद कांग्रेस का रुख और भी आक्रामक हुआ है. ओलांद ने इंटरव्यू में कहा कि मोदी सरकार ने उन्हें अंबानी की कंपनी का नाम सुझाया था, जिसपर कांग्रेस आगबबूला है.

क्या हैं कांग्रेस के आरोप?

राहुल गांधी और कांग्रेस पिछले कई महीनों से यह आरोप लगाते आ रहे हैं कि मोदी सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसाल्ट से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का जो सौदा किया है, उसका मूल्य पूर्ववर्ती यूपीए सरकार में विमानों की दर को लेकर जो सहमति बनी थी उसकी तुलना में बहुत अधिक है. इससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.

पार्टी ने यह भी दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सौदे को बदलवाया और एचएएल से ठेका लेकर रिलायंस डिफेंस को दिया गया.

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