विदेशियों ने पहाड़ की शांत वादियों को बनाया समाजसेवा की कर्मभूमि

सैर-सपाटे पर उत्तरकाशी की गंगा घाटी में आए विदेशी युगल को पहाड़ की शांत वादियों ने इस कदर आकर्षित किया कि उसने यहीं समाज सेवा को जीवन का ध्येय बना लिया। इन दिनों यह युगल बड़कोट तहसील के खरादी कस्बे के स्कूल में स्वयं के खर्चे पर वॉल पेंटिंग और रंगाई-पुताई का काम कर रहा है।विदेशियों ने पहाड़ की शांत वादियों को बनाया समाजसेवा की कर्मभूमि

29-वर्षीय ओथवन पेरिस में फिल्म निर्देशक हैं, जबकि कनाडा निवासी 20-वर्षीय मियां लियोनार्डो विंसी वहां मनोविज्ञान में स्नातक कर रही हैं। इन दिनों दोनों बड़कोट के खरादी में एक निजी विद्यालय के बच्चों के साथ समय बिता रहे हैं। साथ ही स्वयं के खर्चे पर विद्यालय में वॉल पेंटिंग का काम भी कर रहे है। 

ओथवन वैज्ञानिक कल्पनाओं पर आधारित लघु फिल्म बनाने में माहिर हैं। हाल में रिलीज उनकी लघु फिल्म ‘द फॉग पीपुल’ पेरिस में चर्चाओं में रही है। भारतीय संस्कृति से मुग्ध ओथवन बताते हैं कि पेरिस में आपसी भाईचारे की कमी है, जबकि भारतीय संस्कृति है जो कि एक दूसरे को जोड़े रखती है। कहते हैं, जल्द ही वह भारतीय संस्कृति पर आधारित लघु फिल्म बनाएंगे। 

ओथवन के साथ आईं उनकी महिला मित्र मियां लियोनार्डो ने बताया कि वह बचपन से इंटरनेट पर पढ़ती आई हैं। इससे पहले वह दिल्ली, हरिद्वार और वाराणसी में भी कुछ समय व्यतीत कर चुकी हैं। लेकिन, पहाड़ का सौंदर्य उन्हें बड़कोट खींच लाया। 

इस स्थान से उन्हें इतना प्यार हो गया है कि अब मन वापस लौटने को नहीं होता। लेकिन, नियमों के अनुसार उन्हें मात्र एक महीने का ही वीजा मिला है। इसलिए फिलहाल तो लौटना ही पड़ेगा।

विद्यालय के शिक्षक नवीन ने बताया कि उन्होंने फेसबुक के माध्यम से कई विदेशियों को पहाड़ से जोड़ा है। यह जोड़ा भी उन्हीं में से एक है। लियो सामाजिक क्रियाकलापों से जुड़ी है और पेंटिंग में उसे महारथ हासिल है। लिहाजा इन्होंने उनके विद्यालय के बच्चों को पढ़ाने की इच्छा जाहिर की। 

इस जोड़े ने स्वयं के खर्चे से विद्यालय भवन का रंग-रोगन किया और अब दीवारों पर पेंटिंग भी कर रहा है। लियो कहती हैं कि भारतीय संस्कृति में जीवन को मर्यादित ढंग से जीने के तरीके सिखाएं गए हैं। इससे प्रभावित होकर वह बीते पांच वर्षों से नियमित योग करती आ रही हैं।

फिर भारत आएंगी लियो

लियो कहती हैं कि भारतीयों की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह हमेशा अनुशासन में रहते हैं। संसाधनों का अभाव होने के बाद भी वह मुस्कराते रहते हैं। कहती हैं, यहां संसाधनों का अभाव दूर किया जाना चाहिए। भविष्य में वह इसी प्रोजेक्ट पर काम करेंगी और एक बार फिर से वापस इन्हीं पहाड़ों की शांत वादियों में लौटेंगी।

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