महिला की फर्श पर कराई डिलीवरी, बच्चे की मौत पर हंगामा

दून महिला अस्‍पताल में एक गर्भवती महिला को फर्श पर डिलीवरी कराई गई। इस दौरान जच्‍चा-बच्‍चा की मौत हो गई। इस पर परिजनों और लोगों ने डॉक्‍टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगाम किया।महिला की फर्श पर कराई डिलीवरी, बच्चे की मौत पर हंगामा

मामला दून महिला अस्‍पताल का है। गर्भवती महिला सूची (27 वर्ष) पत्नी रमेश निवासी मसूरी मूल रूप से चिन्यालीसौड़ (उत्‍तरकाशी) को परिजनों ने 15 सितंबर को अस्‍पताल में भर्ती कराया था। अस्‍पताल में बेड न होने पर उसे फर्श पर ही लेटाया गया। गुरुवार सुबह चार बजे प्रसव के दौरान जच्‍चा बच्‍चा की मौत हो गई। इस पर परिजनों और अस्‍पताल में मौजूद लोगों ने डॉक्‍टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। वहीं, सीएमएस ने डाक्‍टर पर कार्रवाई की बात की, जिस पर परिजन शांत हुए।

मरीजों का अत्याधिक दबाव

स्वास्थ्य विभाग के अधीन रहते अस्पताल में 111 बेड स्वीकृत थे, लेकिन मरीजों के अत्याधिक दबाव के कारण इससे कई अधिक मरीज भर्ती किये जाते थे। अब यह अस्पताल मेडिकल कालेज का हिस्सा है। एमसीआइ के मानकों के अनुसार दून मेडिकल कॉलेज की महिला विंग में 40 बेड होने चाहिए। उसी मुताबिक डॉक्टरों की संख्या निर्धारित है, पर व्यवस्था के तहत अस्पताल में 113 बेड किसी तरह लगाए गए हैं। वहीं,  अस्‍पताल में रोजाना करीब 150-55 मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। ऐसे में गर्भवती महिलाएं जहां तहां फर्श पर लेटी मिल जाएंगी। कई वार्ड में एक बेड पर दो-दो महिलाएं भर्ती हैं, जिस कारण संक्रमण का भी खतरा रहता है।

रेफर करने में भी दिक्कत

पहले दून महिला अस्पताल गंभीर स्थिति में गर्भवती को श्री महंत इंदिरेश अस्पताल रेफर कर देता था। श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के साथ एनएचएम के तहत अनुबंध था। जिसके तहत इलाज का खर्च सरकार वहन करती थी, पर मेडिकल कॉलेज बनने के बाद यह व्यवस्था भी भंग हो गई। अब अस्पताल प्रशासन नियमानुसार केवल एम्स ऋषिकेश या पीजीआइ चंडीगढ़ को मरीज रेफर कर सकता है। जिससे दिक्कत और भी बढ़ गई है। न यह दूरी के लिहाज से मुफीद है और न जेब के।

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