दून की सौंग समेत पांच नदियों का सबसे पहले पुनर्जीवीकरण
उत्तराखंड की सौंग समेत पांच नदियों का सरकार सबसे पहले पुनर्जीवीकरण करेगी। जलस्रोतों, नदियों एवं जलधाराओं को पुनर्जीवित करने के लिए सालाना लक्ष्य तय किए जाएंगे, जिसकी निगरानी के लिए अलग से स्टाफ भी तैनात किया जाएगा।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सूख रहे जलस्रोतों, नदियों एवं जलधाराओं का शीघ्र चिह्निकरण कराते हुए उपचारात्मक कार्य शुरू किए जाएं। कहा कि परियोजना के मूल्यांकन के लिए मैकेनिज्म तैयार किया जाए। साथ ही मूल्यांकन एवं निगरानी के लिए समर्पित स्टाफ की तैनाती की जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि राज्य एवं जिला स्तर पर प्राधिकरण के अंतर्गत कराए जाने वाले कार्यों का श्रेणीकरण करते हुए प्रत्येक वर्ष के लिए लक्ष्य निर्धारित किया जाए। इस वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक कार्ययोजना अगले एक माह में तैयार कर प्रस्तुत की जाए।
बैठक के दौरान समिति ने प्रथम चरण में दीर्घावधिक उपचार के लिए प्रदेश की पांच नदियों सौंग (देहरादून-टिहरी), पूर्वी एवं पश्चिमी नयार (पौड़ी), शिप्रा (नैनीताल) एवं गौड़ी (चंपावत) को चयनित किया है।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि योजना को सफल बनाए जाने के लिए जन जागरूकता की आवश्यकता है। वर्षा जल को संरक्षित कर नदियों एवं जलस्रोतों के पुनर्जीवन के लिए आमजन की सक्रिय भागीदारी भी सुनिश्चित करनी होगी। उन्होंने परियोजनाओं के लिए जिलों को समय पर बजट आवंटित करने के निर्देश दिए। उन्होंने योजनाओं के समय पर क्रियान्वयन के लिए कैलेंडर तैयार करने को कहा।
सारा की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी नीना ग्रेवाल ने बताया कि प्रदेश में अप्रैल 2024 से अगस्त 2024 तक जल संरक्षण अभियान आयोजित किया जा रहा है। 10 से 16 जून 2024 तक जल उत्सव सप्ताह का भी आयोजन किया गया था। उन्होंने बताया कि प्रदेशभर में उपचार के लिए अभी तक कुल 5428 जलस्रोत चिह्नित किए गए हैं। इस अवसर पर राज्य स्तरीय क्रियान्वयन समिति के सदस्यों सहित संबंधित विभागों के विभागाध्यक्ष उपस्थित थे।