लखनऊ पुलिस की पेट्रोलिंग पर ठंड का असर साफ दिखने लगा है। धीरे-धीरे पेट्रोलिंग ग्रामीणों इलाकों से सिमटकर शहरों तक ही रह गई है। ग्रामीण इलाकों में पेट्रोलिंग पूरी तरह से ठंडी पड़ गई है। इसी के चलते चार दिन से डकैतों का उत्पात शुरू हो गया है। जिस जगह डकैती पड़ी वह काकोरी थाना से महज ढाई किलोमीटर की दूरी पर है, लेकिन समय से पुलिस न पहुंच सकी।
बनियाखेड़ा व कटौली गांव की दूरी थाने और अंधे की चौकी के बीच में हैं। लगभग दोनों ही स्थानों से वहां पहुंचने में बराबर समय लगता है। ऐसे में वारदात स्थल पर पहुंचने में देरी लापरवाही को दर्शाती है। उधर, डकैती डालकर जाते समय बदमाश भाग नहीं पाते अगर पीआरवी (पुलिस रिस्पांस व्हीकल) के पास असलहे होते। डकैती के दौरान पीआरवी समय से पहुंच गई। उनके सामने से हथियारबंद डकैत भागे, लेकिन चाहकर भी वह मुठभेड़ नहीं कर सकी।
एक पीआरवी पर एक एचसीपी (हेड कांस्टेबल प्रोन्नत वेतनमान), एक चालक और एक कांस्टेबल तैनात किया गया है। लेकिन पीआरवी के पुलिसकर्मियों को असलहे नहीं उपलब्ध कराए गए। इससे कई स्थानों पर चाहकर भी ये बदमाशों का मुकाबला नहीं कर पाते।
करीब एक साल पहले प्रदेश सरकार ने यूपी 100 डायल की शुरूआत की। इसमें हर थाने को दो से चार पीआरवी (पुलिस रिस्पांस व्हीकल) दिए गए। पीआरवी केलिए सभी थाना क्षेत्र केप्रमुख चौराहों के आसपास दो-दो घंटे की पेट्रोलिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई। तय समय पर पीआरवी अपना स्थान बदलकर दूसरे जगह पहुंच जाती है। ताकि सूचना मिलते ही आसपास केइलाके में वह पहुंच सके। पीआरवी केसक्रिय होते ही थाने की पुलिस ने पेट्रोलिंग पर ध्यान देना धीरे-धीरे बंद कर दिया। खासकर ग्रामीण इलाकों में तो पीआरवी के भरोसे ज्यादातर थानेदार कंबल तानकर सो रहे हैं।
बिना हथियार के ही डकैतों से जूझा कोमल
कटौली में प्रधान हरिशंकर यादव के बेटे अभिषेक उर्फ कोमल ने बहादुरी दिखाई। पिता हरिशंकर कहते हैं, गोली चलने की आवाज सुनी तो वह अपने छत पर पहुंचे। बाहर देखा तो करीब आठ-दस की संख्या में लोग बंदूक लिए थे। लगातार फायरिंग किए जा रहे थे। गोलियों की आवाज सुनकर उनका बेटा कोमल चारदीवारी फांदकर बाहर आ गया। जैसे ही वह बाहर आया तो सामने तीन-चार डकैत मिल गए। उसने एक डकैत को पीछे से धक्का दिया तो सामने वाले ने सीने पर गोली मार दी। कोमल चीखते हुए जमीन पर गिर गया।
रविवार दोपहर करीब ढाई बजे कोमल का शव गांव पहुंचा। हर तरफ चीख-पुकार मची थी। प्रधान के घर के आसपास किसी को खड़े होने की भी जगह नहीं मिल पा रही थी। लोग प्रधान केपरिवारीजनों को संभालने में जुटे थे। जैसे ही शव दरवाजे पर पहुंचा तो अभिषेक की मां की चीत्कार ने सभी के कलेजे को हिलाकर रख दिया।
लैब टेक्नीशियन था कोमल
प्रधान हरिशंकर के चार बेटे मनीष, रिंकू, अभिषेक उर्फ कोमल, मंजीत और दो बेटियां रेखा व लाची है। तीसरा बेटा अभिषेक उर्फ कोमल एक्सरे का डिप्लोमा करने के बाद एक लैब में प्रैक्टिस करता था। वह खेलने में भी काफी अच्छा था। गांव केयुवकों के साथ उसकी अच्छी बनती थी। गांव के बच्चों के साथ खेलकूद में भाग लेता था। उसी केकहने पर गांव के बाहर एक खेल मैदान बनवाया था। जिसमें वह दो दिन से हैंडपंप लगवाने के लिए दबाव बना रहा था। अगले सप्ताह लगवाने का वादा किया था। हमें नही पता था कि बेटा इस तरह छोड़कर चला जाएगा।
अज्ञात बदमाशों के खिलाफ केस दर्ज
काकोरी पुलिस ने देर शाम प्रधान हरिशंकर की तहरीर पर चार अज्ञात बदमाशों के खिलाफ लूटपाट और हत्या का केस दर्ज कर लिया है। जबकि प्रधान केमुताबिक उन्हाेंने ट्रॉमा सेंटर पर जो तहरीर लिखी थी उसमें आठ से 10 बदमाशों के खिलाफ तहरीर दी थी। लेकिन पुलिस ने इसमें संख्या कम कर दी है। वहीं जगतपाल ने भी काकोरी थाने में तहरीर दी है। जिस पर पुलिस ने लूट का केस दर्ज किया है।