यह पहला मौका नहीं है जब अजित ने चाचा से अलग राह अपनाई हो वे पहले भी ऐसा कर चुके हैं, आइए जानते हैं…

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार ने एक बार फिर अपनी पार्टी और महाविकास आघाड़ी से अलग रुख अपनाया है। एनसीपी ने जहां नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार किया था, वहीं अजित ने अब इसका समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि देश की आबादी 135 करोड़ से अधिक हो गई है। ऐसे में नए संसद भवन की जरूरत थी। यह पहला मौका नहीं है, जब उन्होंने चाचा से अलग बयान दिया हो। वे पहले भी ऐसा कर चुके हैं।

चाचा से अलग भतीजे की राजनीति?

बता दें, ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कहा था कि अगर महाराष्ट्र में शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित कर भी दिया जाता तो भी सरकार को कोई खतरा नहीं होगा। इसके अलावा, बीते दिनों जबने एनसीपी अध्यक्ष पद छोड़ने का एलान किया था, तो अजित ने अपने चाचा के इस फैसले का स्वागत किया था। एक बार तो अजित रातोंरात देवेंद्र फडणवीस के साथ मिल गए और सुबह डिप्टी सीएम के रूप मे शपथ ले ली। हालांकि, बाद में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। आइए, इन सब पर विस्तार से नजर डालते हैं…

एकनाथ शिंदे सरकार का बचाव

  • सुप्रीम कोर्ट के 11 मई के फैसले के बाद शिवसेना (यूबीटी) ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग की थी, जिस पर अजित पवार ने कहा कि शिंदे को इस्तीफा देने की जरूरत नहीं है। उन्हें पता है कि शिंदे सपने में भी इस्तीफा देने के बारे में नहीं सोच सकते।
  • शीर्ष अदालत ने कहा था कि महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार को अयोग्य नहीं माना जा सकता।
  • दूसरा मामला, उस समय का है जब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ठाकरे गुट के प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा स्पीकर नरहरि जिरवाल और विधानसभा सचिव जितेंद्र भोले को 79 पन्नों का एक पत्र सौंपा और शिंदे खेमे के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की।
  • इस मामले पर अजित ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि शिंदे सरकार को कोई खतरा नहीं है। अगर 16 विधायकों को अयोग्य घोषित कर भी दिया जाता है तो भी शिंदे सरकार नहीं गिरेगी।

शरद पवार का इस्तीफा

शरद पवार ने उस समय सबको चौंका दिया, जब उन्होंने एनसीपी प्रमुख का पद छोड़ने का एलान किया। पवार के इस एलान के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनसे पद पर बने रहने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया, वहीं अजित ने कहा था कि शरद पवार अपना फैसला नहीं बदलेंगे। उन्होंने कार्यकर्ताओं से चिंता न करने की अपील की और कहा कि जो भी अध्यक्ष होगा, वो उसके साथ रहेंगे। हालांकि, बाद में कार्यकर्ताओं की जिद के आगे शरद पवार को अपना फैसला बदलना पड़ा।

पीएम मोदी की डिग्री विवाद

पीएम मोदी की डिग्री विवाद पर अजित ने कहा था कि भाजपा ने पीएम मोदी के नेतृत्व में देश के दूरदराज इलाकों में जीत हासिल की। यह उनका जादू नहीं तो क्या है। जहां तक बात राजनीति में शिक्षा की है तो इसे ज्यादा महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। इससे पहले, 21 अप्रैल 2023 को मुंबई में एनसीपी सम्मेलन में जहां शरद पवार ने पुलवामा अटैक और गुजरात के नरोड में हुई हिंसा को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला, वहीं पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में अजित पवार ने प्रधानमंत्री की जमकर तारीफ की।

डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेना

अजित पवार की महत्वाकांक्षाएं बहुत बड़ी हैं। इसके लिए वे पार्टी लाइन से हटने में भी संकोच नहीं करते हैं। ऐसा ही वाकया 23 नवंबर 2019 को देखने को मिला, जब अजित ने अचानक भाजपा को अपना समर्थन दे दिया और डिप्टी सीएम के रूप में शपथग्रहण कर लिया। हालांकि, उनका यह कदम सफल साबित नहीं हुआ और उन्हें 80 घंटे के अंदर अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
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