बमबारी से डरकर कश्मीर छोड़ा, भूखे मरने की नौबत, खुले आसमान के नीचे आठ दिन से गुजर-बसर कर रहा 15 सदस्यीय परिवार

एंकर – एक तरफ बर्फबारी तो दूसरी तरफ आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच आए दिन होने वाली गोलाबारी से परेशान होकर कश्मीर के बारामूला छोड़कर अलीगढ़ आया एक परिवार यहां भूखे मरने की कगार पर है। छोटे बच्चों व जवान लड़कियों के साथ खुले आसमान के नीचे गुजर बसर करने से कई लोग बीमार भी हो गए हैं। वहीं पुलिस-प्रशासनिक अमला भी सक्रिय हो गया और खुफिया इकाई ने परिवार का पूरा ब्यौरा भी जुटाया है। 

वीओ – कश्मीर छोड़कर आए लोगों ने बताया कि कश्मीर में आंतकियों व सुरक्षाबलों के बीच आए दिन मुठभेड़ होती रहती है। ऐसे में तमाम लोग अपने ही घरों में कैद होकर रह जाते हैं। पेट की आग बुझाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। बर्फबारी में वह भी संभव नहीं हो पाता है। गोलाबारी बढ़ने पर कई बार पलायन की नौबत आ जाती है। पीड़ितों ने बताया कि करीब एक माह पहले मामा गुलफाम हसन के साथ 16 लोग बारामूला छोड़कर आगरा आ गए, ताकि बर्फबारी बंद होने तक यहां मेहनत-मजदूरी कर परिवार का पेट पाल सकें। आगरा में जामा मस्जिद के अंदर ही स्थित छोटी दरगाह के पास सिर छुपाने का ठिकाना मिला, मगर बीमारी व इलाज न मिलने से मामा का इंतकाल हो गया। मामा को वहीं दफना दिया। रोजी-रोटी का प्रबंधन न होने पर आठ दिन पहले अलीगढ़ आ गए। बारामूला से आया यह परिवार इन दिनों घंटाघर के पास एक चर्च में खुले आसमान के नीचे जीवनयापन कर रहा है। सर्दी में छोटे बच्चे व वृद्धों की हालत खराब हो गई है। मोहम्मद सफी की मां शमां (75) व बीवी परवीन बेगम समेत कई लोग बीमार हैं। काम न मिलने पर भीख मांगकर गुजारा करने को मजबूर हैं। कुछ लोग उनकी हालत पर तरस खाकर कंबल, चावल, आटा व अन्य सामान दे गए हैं। वहीं पुलिस प्रशासन व एलआईयू की टीम भी सक्रिय हो गई है और पूरे परिवार का ब्यौरा जुटाया है।

बाइट – मौ. समी , कश्मीरी

बाइट – मौ. सलीम, कश्मीरी

BOMBBARI SE DAR KAR

BOMBBARI SE DAR KAR 2

BOMBBARI SE DAR

E-Paper