यूपी में ऑक्सीजन संकट दूर करने के लिए योगी सरकार ने उठाए कदम,
कोरोना की दूसरी लहर में अप्रैल के दूसरे हफ्ते में जब ये दिक्कतें बढ़ने लगीं तो उसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अलग-अलग कमेटियां बनाईं और इन्हीं में से एक कमेटी यूपी में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति करने के लिए बनाई गई. इसकी कमान सौंपी गई यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी को. जिन्होंने दिन-रात लगातार मेहनत करके उत्तर प्रदेश में जो ऑक्सीजन की कमी थी उसे दूर करने के तमाम जतन किए. इसका असर ये हुआ कि अब यूपी में एक हजार मीट्रिक टन से ज्यादा ऑक्सीजन की उपलब्धता है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है. नीति आयोग ने भी यूपी के ऑक्सीजन आपूर्ति मॉडल को काफी सराहा है जिसने पूरे प्रदेश में बेहतर प्रबंधन के लिए देश में एक मिसाल कायम की है.
ऑक्सीजन व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए प्रदेश में अप्रैल के दूसरे हफ्ते के बाद जो तेजी आई तो उसका असर ये हुआ कि 13 मई को यूपी में एक दिन में 24 घंटों में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों, चिकित्सा संस्थानों, निजी अस्पतालों और रिफिलर्स को रिकॉर्ड 1031.43 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई है. इसमे से 623.11 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति रिफिलर्स को, 313.02 मीट्रिक टन प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों और चिकित्सा संस्थानो को तथा 95.29 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति ऑक्सीजन सप्लायर्स द्वारा सीधे निजी चिकित्सालयों को की गई है.
इतना ही नहीं सेल्फ प्रोडक्शन के तहत एयर सेपरेटर्स यूनिट्स के माध्यम से भी 81.87 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति की गई है. होम आईसोलेशन के 3471 मरीजों को भी कुल 26.44 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति सिलेंडरों के माध्यम से बीते 24 घंटों में की गई है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है और साथ ही ये भी दिखलाता है कि कैसे जिस यूपी में 25 दिन पहले ऑक्सीजन को लेकर हर तरफ हाहाकार मचा हुआ था वहां अब मांग से ज्यादा आपूर्ति हो रही है. तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर ये संभव कैसे हुआ.
प्रदेश के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में कोविड-19 के वर्तमान संकट काल में उत्पन्न हुई ऑक्सीजन की समस्या से निपटने के लिए ‘ऑक्सीजन मॉनिटरिंग सिस्टम फॉर यूपी’ नाम का डिजीटल प्लेटफार्म तैयार किया गया. जिसका उद्घाटन 23 अप्रैल 2021 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया. ये व्यवस्था शुरू करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बना. उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा शुरू की गई इस पारदर्शी व्यवस्था की देश भर में सराहना हुई है. कई राज्यों ने प्रदेश सरकार की इस नई व्यवस्था के संबंध में गहरी रुचि भी दिखाई है. प्रदेश के गृह विभाग में अलग से एक ‘‘विशेष नियंत्रण कक्ष’’ बनाकर ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति के संबंध में लगातार निगरानी रखी जा रही है.
यूपी और अन्य संसाधन वाले राज्यों जैसे झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाने वाले ट्रकों को रोकने के लिए टीमों को सक्रिय किया गया. एक एप्लिकेशन को तैयार किया जो स्मार्टफोन पर डाउनलोड किया गया था जिसे फील्ड में चल रहे ट्रकों में से प्रत्येक में रखा गया था, ताकि उनके चल रहे मार्ग में कठिनाई ना हो. रेलवे मार्ग से ऑक्सीजन लाने वाला भी यूपी पहला राज्य है. उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए अन्य राज्यों बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, झारखंड में स्थित ऑक्सीजन प्लांट से ऑक्सीजन प्रदेश में लाए जाने की व्यवस्था की गई है, जिसकी पूरी ऑनलाइन मॉनिटरिंग भी की जा रही है.ऑक्सीजन की उपलब्धता में लगने वाले समय को और कम किए जाने हेतु खाली टैंकर को हवाई जहाज से रिफिलिंग स्टेशन तक पहुंचाए जाने तथा वहां से सड़क मार्ग के जरिए यूपी में ऑक्सीजन लाने की व्यवस्था की गई. यूपी की सीमा से अन्य राज्यों के द्वारा होकर आने वाले टैंकर को ग्रीन कॉरीडोर बनाकर उन्हे निर्धारित स्थान तक शीघ्र पहुंचाने की व्यवस्था भी की जा रही है.