हनुमान भक्त बुक्कल नवाब इस्लाम से खारिज, करोड़ो का घपला कई मुकदमे हुए दर्ज

बुक्कल नवाब पर 6.94 करोड़ रुपये की रिकवरी का नोटिस

लखनऊ।लखनऊ में एक नवाब साहब है जिनको लोग बुक्कल नवाब के नाम से जानते है इन्होंने गोमती रिवर फ्रंट के दायरे में डूबी लगभग 54 बीघा जमीन को अपनी बता कर 8 करोड़ रुपए का मुआवाज़ा लेने वाले खुद को नवाबो का वंशज बताने वाले बुक्कल नवाब को देवबन्द उलमाओ ने हुनमान भक्त और मन्दिर में पूजा पद्धति पर कड़ा एतराज करते हुए इस्लाम से खारिज माना है।

राम लहर कहे यह मोदी लहर, इस बहती गंगा में हर घोटालेबाज़ और राजनीतिक रोटी सेंकने वालो की पौ बारह है। भगवा रंग का चोला, गले मे गेरुवा गमछा और माथे पर महावीरी रंग का तिलक लगा कर अपने को धर्मनिरपेक्ष घोषित कर अपने पापों से मोक्ष पाने जैसा कर्म माना जा सकता हैं, साथ ही साथ सरकार हितैषी कर्मयोगी और सरकरी अंग का हिस्सा साबित किया जा आसान हो गया हैं

बुक्कल नवाब की पूजा अर्चना पर उलेमा को काफ़ी एतराज़ रहा है, क्योंकि बुक्कल नवाब ने कुछ दिन पूर्व (17अप्रैल) हज़रतगंज के दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर पहुंच कर 20 किलो का पीतल का घण्टा चढ़ाते हुए महावीरी तिलक लगाते हुए मन्दिर में स्थापित भगवान के सामने शीश झुका कर नमन करते हुए जयश्री राम के जयकारे लगाते हुए यह बयान जारी किया कि मैं तो खानदानी हुनमान भक्त हूँ और मेरे पूर्वजो ने दो मन्दिरो का निर्माण कराया था।बुक्कल नवाब यही नही रुके बल्कि यह भी कहा कि मै जब समाजवादी पार्टी में था तो भी मैंने अयोध्या में श्रीराम के मंदिर की मांग की थी और आज भी इसी मांग पर डटे होते हुए राम मन्दिर के लिए 15 करोड़ रुपये देने को तैयार हूं। राम मंदिर बन जाने पर भगवान राम को मुकुट भी पहनाएगे।

इसी बात से नाराज़ देवबन्द उलमा दारुलउलूम के मोहतमिम मौलाना सालिम अशरफ़ क़ासमी ने कहा कि इस तरह के बयानों पर मुस्लिम कौम को बेदार होना चाहिये, उन्होंने कहा कि किसी को दिखावे के लिए किसी मज़हब या रस्म को अपनाना नही चाहिए, इससे मज़हब मज़बूत नही होता, इससे कभी हिंदुस्तान मज़बूत नही होगा, दिखावे के लिए धर्म नही होता हैं, इंसानियत को, मोहब्बत को, वफादारी को और हमदर्दी को आम करना चाहिए, मौलान अशरफ कासिम ने यहाँ तक कह दिया था कि बुक्कल नवाब मन्दिर के बजाए गैर मुस्लिमों के लिए कुछ करते औऱ इंसानियत का भला करते तो खुदा भी खुश होता लेकिन बुक्कल नवाब ने अपना इमान खतरे में डाल लिया है।

बुक्कल नवाब पर है कई आरोप बुक्कल नवाब द्वारा गोमती की जमीन को अपना बता 8 करोड़ ऐंठने की बात पता चली थी।सरकारी जमीन को अपना बताने के लिए बुक्कल नवाब ने फर्जी दस्तावेज तैयार किये.मामले की जाँच के लिए न्याय विभाग ने नगर विकास मंत्री को पत्र लिखा था।नगर विकास मंत्री को लिखे पत्र में पूरे मामले की सीबीआई जाँच कराने की मांग की गई थी।नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा है कि अभी फाइल उनके पास नहीं आई. उनके पास फाइल आने पर वो विचार करेंगे कि इसकी जाँच किसी एजेंसी को सौंपी जाएगी।

गौरतलब है कि हाई-कोर्ट के निर्देश पर बुक्कल नवाब के खिलाफ मामला दर्ज हुआ। धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेजों के जरिये मुआवजा लेने का मामला दर्ज है.लखनऊ के कथित बुक्कल नवाब पर भ्रष्टाचार की 3 FIR हो चुकी है।लखनऊ में बुक्कल की 3 अवैध बिल्डिंग बनी हुई है।अपने किये इन्हीं भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए बुक्कल नवाब बेचैन रहते हैं।माना जा रहा है कि इन्हीं कारणों से बुक्कल ने सपा से इस्तीफा दिया था और बीजेपी ज्वॉइन कर लिया है।सरकार मुआवजा देगी तभी राममंदिर निर्माण के लिए 15 करोड़ दान देंगे नवाब साहब*

लखनऊ के यह नवाब साहब अपने को खानदानी रईस बताते है, इनके पीछे लखनऊ विकास प्राधिकरण पड़ा था। नवाब साहब पर आरोप है कि उन्होंने एलडीए की जमीन हड़प ली है। अवैध तरीके से मुआवजा ले लिया और उस पर बिना अनुमति कई मंजिला भवन बना लिया। खबर हुई कि नवाब साहब का अवैध निर्माण तोड़ा जाएगा। नवाब साहब ने प्रेस कांफ्रेंस कर एक धमाका किया। उन्होंने एलान किया कि वह अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए 15 करोड़ और भगवान राम के मुकुट के 10 लाख रुपए का दान देंगे। खबर मीडिया की सुर्खियां बनीं। लेकिन, इस दान में भी एक पेंच है। नवाब साहब का कहना है यह दान वह तब देंगे जब सरकार उन्हें मुआवजा देगी। यानी दान में भी शर्त।  

बुक्कल नवाब का कहना है कि ”मंदिर अयोध्या में था और वहीं बने तो बेहतर है। भगवान राम अयोध्या में पैदा हुए थे, ऐसे में उनका मंदिर अयोध्या में ही बनना चाहिए। उन्होने कहा भगवान राम का मंदिर बनने के बाद उनको मुकुट पहनाऊंगा।” बुक्कल नवाब पर जमीन कब्जाने के कई आरोप है। हालांकि वे इसको गलत बताते हैं। वे कहते हैं कि गोमती किनारे जमीन मेरे पूर्वजों की है। इसको लेकर कोर्ट में मुकदमा लंबित है, क्योंकि हम पहले से बहुत रईस हैं। मेरे पिता पायलट थे। दादा के पास कई सौ बीघा जमीनें थीं, जो सीतापुर, लखनऊ, हरदोई में थीं। बाढ़ के दौरान अक्सर ये जमीन पानी में डूबी रहीं, जिससे स्थाई कब्जा नहीं हो पाया। मैंने पेपर्स कोर्ट में दिए हैं, जिसका केस चल रहा है।”

फर्जी तरीके से मुआवजा लेने का आरोप

बुक्कल नवाब कहते हैं ”अभी मुझे सरकार से करीब 30 करोड़ का मुआवजा मिलना है। इस जमीन का इस्तेमाल सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट के डेवलपमेंट में किया है, लेकिन अभी तक सरकार ने जमीन का मुआवजा नहीं दिया है। जैसे ही सरकार से जमीन का मुआवजा मिलता है मैं इस रकम में से 15 करोड़ राम मंदिर के निर्माण के लिए दान कर दूंगा।”

बुक्कल नवाब ने मकान विवाद में ठेकेदार को बना दिया दोषी

बुक्कल साहब कहते हैं कि ”मेरे ऊपर जो आरोप लगे हैं, उसमें मेरा कोई दोष नहीं हैं। मैंने अपने मकान के लिए एलडीए से परमिशन ली थी। आम शख्स को भी अपने एक मकान पर 3 फ्लोर बनाने की परमिशन होती है। हालांकि, मेरे मकान के बाकी के जो 2 मंजिल बने हैं, वो ठेकेदार की गलती से हुआ है। मैंने जिस ठेकेदार को मकान बनवाने के लिए ठेका दिया था, उसने निर्माण कराया है। मामला जियामऊ में गलत तरीके से मुआवजा लेने का भी है. इससे पहले हुसैनाबाद हेरिटेज जोन में बिल्डिंग गलत तरीके से बनाने के मामले में बुक्कल नवाब को एलडीए नोटिस दे चुका है. एलडीए ने बिल्डिंग गिराने का भी नोटिस जारी कर दिया है.

(गोमती नदी की जमीन पर ले लिया करोड़ों रुपए का मुआवजा)

लखनऊ में गोमती नदी की जमीन को अपना बताकर सरकार से करोड़ों रुपए का मुआवजा लेने के मामले में नवाब के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

हाईकोर्ट के निर्देश पर लखनऊ की वजीरगंज पुलिस ने मजहर अली खां उर्फ बुक्कल नवाब के खिलाफ जालसाजी समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर चुकी है. मामले में कई अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ भी मुकदमा हुआ है, जिनके कारनामे जांच में उजागर होंगे.

तहसीलदार सदर अनुराग सिंह की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज कर छानबीन की जा रही है. तहरीर में सदर तहसीलदार ने लिखा है कि ग्राम गोयला बख्शी का तालाब के रहने वाले हरिश्चंद्र वर्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. श्री वर्मा का आरोप है कि बुक्कल नवाब ने गोमती नदी के किनारे की जलमग्न 54 बीघा जमीन को अपना बताकर राज्य सरकार से 8 करोड़ रुपये मुआवजा ले लिया. इसके लिए सपा एमएलसी ने फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग किया.खास बात यह है कि जमीन का अधिग्रहण करने वाले अधिकारियों ने भी बिना किसी जांच के मुआवजा दे दिया. हाई कोर्ट में याचिका के बाद उत्तर प्रदेश शासन की ओर से जांच कमेटी गठित की गई. कमेटी ने पूरा मामला उजागर किया।

जांच रिपोर्ट में पाया गया कि बुक्कल नवाब ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 1977 में आदेश पारित करवा लिया था, जिसकी सत्यवादिता अत्यंत संदेहात्मक है. इसके आधार पर हाई कोर्ट ने प्रमुख सचिव राजस्व को आरोपी व संलिप्त अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय व अन्य आवश्यक कार्रवाई के आदेश दिए.हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रमुख सचिव राजस्व उत्तर प्रदेश शासन के आदेश पर बुधवार को वजीरगंज पुलिस ने शीशमहल हुसैनाबाद निवासी मजहर अली खां उर्फ बुक्कल नवाब व संलिप्त अन्य व्यक्तियों तथा संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ठंडे बस्ते में डाल दी गयी हैं।

देखना होगा क्या कि इस सरकार में बुक्कल नवाब पर दर्ज मुकदमे में दोषी बनाया जायेगा, यह हमेशा की तरह बड़े आदमी रुपये से तंत्र को अपने तरीक़े से घुमाने का कार्य करता रहेगा.?

बुक्कल पर है लगे कई आरोप

बुक्कल नवाब द्वारा गोमती की जमीन को अपना बता 8 करोड़ ऐंठने की बात पता चली थी।

सरकारी जमीन को अपना बताने के लिए बुक्कल नवाब ने फर्जी दस्तावेज तैयार किये

लखनऊ के कथित नवाब परिवार से बुक्कल नवाब ताल्लुक रखते है। बुक्कल नवाब पर भ्रष्टाचार की 3 FIR हो चुकी है।वही लखनऊ में 3 अवैध बिल्डिंग बनी हुई है।

आजकल बुक्कल नवाब भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए बेचैन हैं। वही यह भी माना जा रहा है कि बुक्कल को लेकर बीजेपी ने अब तक कोई आश्वासन नहीं दिया है।

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