भारत बायोटेक ने नेजल कोरोना वैक्सीन के ट्रायल की मांगी इजाजत, लगाने के लिए स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों की भी जरूरत नहीं

भारत बायोटेक ने भारतीय दवा महानियंत्रक (डीसीजीआइ) से नाक के जरिये (नेजल) दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल की इजाजत मांगी है। हैदराबाद स्थित कंपनी ने कोरोना वायरस के खिलाफ पहला स्वदेशी टीका विकसित किया है, जिसे डीजीसीआइ से प्रतिबंधित आपात इस्तेमाल की मंजूरी भी मिल चुकी है। शीर्ष सूत्रों ने बताया कि भारत बायोटेक ने नेजल वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति मांगी है।

देश के कई केंद्रों पर होगा ट्रायल

समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के कई केंद्रों पर इसका परीक्षण किया जाएगा। सीरिंज के जरिये बांह में दी जाने वाली वैक्सीन की दो खुराक है, लेकिन यह एक खुराक की वैक्सीन होगी। यह बच्चों और बड़ों सभी के लिए होगी और इसे देने के लिए किसी प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी की भी जरूरत नहीं होगी।

कोवैक्सीन को बताया सुरक्षित

एएनआइ की खबर के मुताबिक भारत में इक्वाडोर के राजदूत हेक्टर गुएवा जैकोम को शुक्रवार को भारत बायोटेक द्वारा तैयार कोवैक्सीन की पहली खुराक दी गई। उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन एक सुविधाजनक और सुरक्षित टीका है। भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट को अच्छी कंपनियां बताते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका और अपने देश में शोधकर्ताओं से बातचीत के बाद वह ट्रायल में शामिल हुए।

मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे पीएम मोदी

इस बीच केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि अगले कुछ दिनों में देश के लोगों को वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। सबसे पहले वैक्‍सीन स्वास्थ्य सेवा और प्राथमिकता वाले समूहों के लोगों को लगाई जाएगी। टीकाकरण शुरू किए जाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को सभी राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे।

कोविशील्ड और कोवैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी आइएमए ने कोरोना के स्वदेशी टीकों पर विश्वास जताते हुए देशभर के चिकित्सकों से टीकाकरण में हिस्सा लेने की अपील की है। एसोसिएशन ने कहा कि इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए स्वीकृत दोनों टीके (कोविशील्ड व कोवैक्सीन) सुरक्षित और प्रभावी होने के साथ किफायती भी हैं। आइएमए ने अपने सभी सदस्यों से कोरोना टीकाकरण अभियान में सक्रिय रूप से शामिल होने की अपील की है।

 

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