पीएम मोदी ने किसान के लिए जारी किए 18,000 करोड़, ममता और विपक्ष पर जमकर बोला हमला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज केंद्र द्वारा अधिनियमित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छह राज्यों के नौ करोड़ से अधिक किसानों को संबोधित किया। इसके साथ ही पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) की अगली किस्त के रूप में नौ करोड़ से अधिक किसान परिवारों को 18,000 करोड़ रुपये भी जारी किए।

प्रधानमंत्री ने किसानों को संबोधन में कहा, ‘आज, 18,000 करोड़ रुपये से अधिक सीधे किसानों के खातों में जमा किए गए हैं। कोई बिचौलिए, कोई कमीशन नहीं। लेकिन बंगाल के किसानों को केंद्र की योजनाओं के लाभ से वंचित रखा गया है। बंगाल एकमात्र ऐसा राज्य है जो योजनाओं का लाभ किसानों तक नहीं पहुंचने दे रहा है।’

उन्‍होंने कहा, ‘ममता बनर्जी की विचारधारा ने बंगाल को नष्ट कर दिया है। किसानों के खिलाफ उनकी कार्रवाई ने मुझे बहुत आहत किया है। विपक्ष इस पर चुप क्यों है?। मंडियों, एपीएमसी के बारे में बात करने वाले समूह खुद पश्चिम बंगाल, केरल को नष्ट करने वाले हैं। केरल में एपीएमसी और मंडियां नहीं हैं। तो केरल में कोई विरोध क्यों नहीं कर रहे हैं? वे वहां आंदोलन क्यों नहीं शुरू करते? लेकिन केवल पंजाब के किसानों को गुमराह कर रहे हैं।’

पीएम मोदी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, ‘हर किसान जानता है कि उसे अपने खेत की उपज का सबसे अच्छा मूल्य कहां मिलेगा। इन कृषि सुधारों के साथ, किसान कहीं भी किसी को भी अपनी उपज बेच सकते हैं। अगर किसानों को फायदा हो रहा है तो क्या गलत है? जो लोग पहले कई वर्षों तक सरकार में रहे, उन्होंने किसानों को अपने हाल पर छोड़ दिया। वादे किए गए और भुला दिए गए। पिछली सरकार की कृषि नीतियों के कारण, गरीब गरीब हो गया, क्या किसानों की इस स्थिति को बदलना महत्वपूर्ण नहीं था?।’

किसानों को कांट्रैक्‍ट खेती समझाते हुए पीएम ने कहा, ‘देश के कई हिस्सों में कांट्रैक्ट खेती की कोशिश की गई है। यह डेयरी क्षेत्र में किया गया है। अब तक आपने सुना है कि किसी कंपनी ने डेयरी उद्योग पर एकाधिकार कर लिया है?।’ उन्‍होंने कहा, ‘किसानों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के कारण, हम खुले दिमाग से उनके सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं। हमारी सरकार उन लोगों से बात करने के लिए तैयार है, जब तक कि चर्चा तथ्यों पर आधारित हो। केवल आत्मनिर्भर किसान ही आत्मनिर्भर भारत की नींव रख सकता है।’

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