हाड़ कंपा देने वाली ठंड के के बीच किसानों का हौसला बुलंद, लगातार 21वें दिन आंदोलन जारी

नई दिल्ली। दिनभर बह रही सुरसुरी बयार और शाम से ही पड़ने लग रही हाड़ कंपा देने वाली ठंडक में भी किसानों का हौसला बुलंद है। किसानों को लगता है कि सरकार ने जब अब तक उनकी बात नहीं मानी तो अब उनका आंदोलन लंबा चलेगा। सरकार को लग रहा होगा कि ठंड बढ़ेगी तो किसान दिल्ली छोड़कर भाग जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं होगा, वो किसान हैं जो जून जुलाई की तपती दोपहरी और दिसंबर-जनवरी की कड़कड़ाती ठंड भरी रातों में खेतों में पानी लगाते हैं। सरकार यह बात समझ ले कि वह इतनी जल्द टूटने वालों में से नहीं हैं। किसानों को मौसम के साथ खेलने की आदत है। 

टीकरी बॉर्डर पर मंगलवार को किसान आंदोलन के 20वें दिन किसानों के जोश में कोई कमी नहीं थी। नौजवान मंच संभाल रहे थे, बुजुर्ग रसोई का काम। चार बजते ही मंच के सामने बिछी कालीनों को समेट दिया गया। आग के पास बैठकर होने वाला काम बुजुर्गों के जिम्मे था। साफ सफाई, सब्जियां धोने, काटने का काम नौजवान कर रहे थे। रोजाना की तरह बनाने खाने का सिलसिला शुरू चुका था। भारतीय किसान यूनियन (लक्खोवाल) मनसा जिले के प्रधान पुरुषोत्तम सिंह गिल एक बड़े डेक में चाय खौला रहे थे। उन्होंने कहा अब तो इन कामों में मन लग चुका है। खाने पीने की कमी है नहीं, बिस्तर सबके पास पर्याप्त है। आंदोलन में आया कोई सख्स यह नहीं कह सकता कि बिस्तर की वजह से ठंड लग रही है।

बीच-बीच में घर जाकर निपटा आते हैं काम-

भारतीय किसान यूनियन फरीदकोट के प्रधान हरप्रीत भाऊ ने बताया कि वह पांच दिन अपने पिंड होकर लौटे हैं। धान की फसल को मंडी में बेचकर फिर यहां आ गए। इसी तरह यहां बाकी लोगों का आना जाना लगा हुआ है।

चिलम-चूल्हा-तिरपाल से झेल जाएंगे ठंड-

किसानों ने चिलम, चूल्हा और तिरपाल को ठंड के खिलाफ हथियार बना लिया है। बूढ़ों के अलावा चालीस पार के जवानों के लिए हुक्का और चिलम टाइम पास का सर्वोत्तम साधन बना हुआ है। जबकि लकड़ी की भट्ठियों पर बने चूल्हे भोजन बनने के बाद घंटों हाथ सेंकाई के काम आ रहे हैं। खाने पीने के बाद आजकल लगभग सभी तिरपाल में चले जाते हैं।

डिवाइडर के बीच लग गए हैं अस्थाई टेंट-

किसानों ने डिवाइडर के बीच की तीन फुट खाली जगह को टेंट लगाकर अस्थाई घर बना लिया है। जिससे बरसात होने पर सड़क पर से बिस्तर उठाकर भागने से राहत मिलेगी।

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