इस वर्ष महापर्व कुम्भ पर बन रहा, सूर्य और बृहस्पति का अद्भुत संयोग

आस्था। कुंभ मानवीय आस्था और श्रद्धा का महापर्व है। यह अकेला ऐसा मेला है जहां करोड़ों श्रद्धालु ज्योतिष के आधार पर जुटते हैं। बगैर किसी न्योते के श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। 2021 में होने वाले कुंभ में भी देश-विदेश के श्रद्धालु शिव और गंगा की धर्मनगरी हरिद्वार में जुटेंगे।

कुंभ किसी व्यक्ति या परिवेश विशेष का पर्व नहीं है। यह जनकुंभ है। हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में आम आदमी से लेकर साधु-संत और खास लोगों के जमावड़े लगते हैं।
कुंभ का आयोजन चारों नगरों में 12 वर्ष बाद होता है। कुंभ का संयोग ग्रहों के गुरु बृहस्पति और भगवान भास्कर की चाल पर निर्भर है। बृहस्पति कुंभ और सूर्य मेष राशि में आते हैं तभी कुंभ महापर्व का योग बनता है। 

बृहस्पति का आगमन कुंभ राशि में-

आचार्य प्रियव्रत शास्त्री बताते हैं कि अगले वर्ष पांच अप्रैल को बृहस्पति का आगमन कुंभ राशि में होगा। जबकि सूर्य हर वर्ष की तरह 14 अप्रैल को मेष राशि में प्रविष्ट होंगे। परिणाम स्वरूप कुंभ का एकमात्र योग 14 अप्रैल 2021 में बनेगा। उसी दिन आकाश से अमृत वृष्टि हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर होगी।

इसी अमृत गंगा में स्नान कर अमरत्व पाने की लालसा में  लोग कुंभ नगरी में जुटेंगे। शाही स्नानों के लिए तीन दिन और नियत हैं। हालांकि, कुंभ का साल होने से मकर संक्रांति पर्व पर भी स्नान के लिए लोगों का सैलाब उमड़ेगा। आचार्य प्रियव्रत शास्त्री बताते हैं, हिमालय आदि पर्वतों पर साधनारत ऋषि, मुनि कुंभ नगरी पहुंचेंगे।

कुंभ के तमाम प्रबंध आस्था को संस्कृति से जोड़ने के लिए किए जाते हैं। कुंभ का स्वरूप प्रत्येक बार बदलता आया है। कभी कुंभ मेलों में ज्ञान वितरण और कथा वार्ता ही मुख्य आकर्षण थे। लेकिन, बदलते समय के साथ-साथ कुंभ का स्वरूप भी बदला। 2021 में भी कोरोनाकाल में आस्था, श्रद्धा और विश्वास की लोगों को हरिद्वार तक खींचेगा। 

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