सरकार के इस कदम से हर आदमी बन सकता है करोड़पति, जरूर जानें इसका तरीका

नई दिल्ली : वैश्विक महामारी कोरोना से भारत समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर ब्रेक लग गया है। अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई। कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से बड़ी तादाद में लोगों की नौकरियां चली गई है। हालांकि कोरोना वैक्सीन को लेकर आ रही अच्छी खबरों के बीच फिर से उद्योग धंधे धीरे-धीरे शुरू हो रहे हैं। इस बीच अमेरिका के अरबपति और उद्योगपति बिल एक्मेन का सुझाव तेजी से वायरल हो रहा है।

उद्योगपति बिल एक्मेन की मानें तो उनके एक सुझाव पर अगर सरकार अमल करे तो गरीबी को जड़ से खत्म किया जा सकता है। बिल एक्मेन का कहना है कि अगर अमेरिकी समेत दुनिया भर के तमाम देशों की सरकार बच्चे जन्म के समय उसके नाम  6750 डॉलर्स यानि लगभग 5 लाख रूपए कर दे तो वह रिटायर होने के वक्त करोड़पति बन सकता है। 

न्यूयॉर्क टाइम्स डीलबुक में लिखे अपने एक आर्टिकल में  बिल एक्मेन ने कहा है कि सरकार द्वारा दिए गए तकरीबन 5 लाख रुपये को जीरो कॉस्ट इक्विटी इंडेक्स फंड्स में निवेश कर दिया जाए और इस पर रिटायरमेंट से पहले निकालने पर पाबंदी के साथ-साथ टैक्स फ्री कर दिया जाए वह व्यक्ति 65 साल में करोड़पति हो जाएगा। 

साथ ही इनका कहना है कि सालाना 8 फीसदी रिटर्न्स के चलते 65 साल की उम्र तक ये रकम 1 मिलियन डॉलर्स यानि लगभग साढ़े सात करोड़ और 74 की उम्र तक ये फंड्स 2 मिलियन डॉलर्स यानि लगभग 15 करोड़ में तब्दील हो जाएगा। बिल के मुताबिक इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए अमेरिकी सरकार को तकरीबन 26 बिलियन डॉलर्स यानि 20 खरब रूपये  खर्च करने होंगे।

बिल एक्मेन के इस सुझाव पर बिजनेसमैन शाहर जीव ने फोर्ब्स में एक आर्टिकल लिखा है और इस पर विस्तार से चर्चा की है।  शाहर जीव ने अपने लेख में लिखा है कि बिल एक्मेन जिन इक्विटीज पर 8 फीसदी रिटर्न की बात कर रहे हैं, वे आने वाले समय में कहीं खत्म हो जाए। दरअसल 1985 से 2014 के बीच अमेरिका में इक्विटीज पर करीब 8 फीसदी रिटर्न्स मिले हैं लेकिन अगले 20 सालों में ये घटकर 4 से 6.5 फीसदी के बीच हो सकता है। 

उन्होंने आगे कहा कि अगर पांच लाख के निवेश पर  4 फीसदी का रिटर्न मिलता है तो 65 साल की उम्र में यह महज 86 हजार डॉलर्स यानि 63 लाख रूपया ही हो पाएगा। ऐसे में ना तो लोग करोड़पति बन पाएंगे और सरकार को भी इस प्लान को अमल में लाने के लिए 26 बिलियन डॉलर्स की जगह 300 बिलियन डॉलर्स खर्च करने पड़ेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि अमीर और गरीब की खाई पाटने के लिए यह सुझाव एक अच्छा कदम हो सकता है। 

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