दसवें दिन में 10 से अधिक, राज्यों में फैला आंदोलन, एक सुर में उठी आवाज-रद्द हो कृषि कानून 

चंडीगढ़। कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए 10 दिन पहले पंजाब के किसानों ने दिल्ली कूच किया था। तब इन किसानों ने नहीं सोचा था कि उन्हें इतना समर्थन मिलेगा। किसानों के इस आंदोलन की आग केवल 10 दिन में 10 से ज्यादा राज्यों में फैल गई है। पंजाब, हरियाणा के अलावा यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, झारखंड, बिहार तक किसान आंदोलन की गूंज है।  

किसान न केवल अपने राज्य के अंदर ही आंदोलन नहीं कर रहे हैं, बल्कि समर्थन देने सिंघु बॉर्डर पर भी पहुंच रहे हैं। दस दिन पहले पंजाब के किसानों ने दिल्ली कूच की हुंकार भरी थी। उस समय आंदोलन में केवल पंजाब का किसान ही दिख रहा था। जब पंजाब के किसान हरियाणा पहुंचे तो यहां के किसान भी उनके साथ जुड़ गए। किसानों के जत्थों को 28 नवंबर को सिंघु बॉर्डर पर रोक लिया गया। इसके बाद किसान वहां धरना देकर बैठ गए। हरियाणा के किसान भी खूब बढ़ चढ़कर आंदोलन में शामिल होने लगे तो यूपी के किसान भी आंदोलन को समर्थन देने पहुंचने लगे। 
यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, झारखंड, बिहार के किसान प्रतिनिधि दावा कर रहे हैं कि यह आंदोलन अन्य राज्यों के अंदर भी शुरू हो गया है। क्योंकि वहां के किसान संगठनों के प्रतिनिधि उनसे संपर्क करके आंदोलन पर चर्चा भी कर रहे है। 
 
कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब से आंदोलन शुरू हुआ था तो उस समय यह सोचकर नहीं चले थे कि यह आंदोलन इतना बड़ा हो जाएगा। आंदोलन हर दिन बढ़ता जा रहा है और यह देशभर में शुरू हो गया है। सरकार को किसानों की मांग पूरी करनी ही होगी। मांग पूरी होने के बाद ही आंदोलन खत्म किया जाएगा, यह सरकार को साफ कह दिया गया है। सरकार चाहे गोली मारे या लाठी मारे, हम मांग पूरी हुए बिना नहीं हटेंगे।

सिंघु बॉर्डर पर बढ़ती जा रही है किसानों की तादाद- 

कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए किसान केवल अपने ही राज्यों में आंदोलन नहीं कर रहे हैं। बल्कि लगातार सिंघु बॉर्डर पर भी पहुंच रहे हैं। वे किसानों को अपने यहां के आंदोलन के बारे में बताकर उनका हौसला भी बढ़ा रहे हैं। सिंघु बॉर्डर पर राजस्थान, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश, केरल, कर्नाटक, बिहार, झारखंड के किसान पहुंचे हैं। जिन्होंने हर तरह से आंदोलन में साथ रहने की बात कही है और कृषि कानून रद्द कराने के बाद ही पीछे हटने का फैसला लिया है। 
किसानों का यह आंदोलन पंजाब से शुरू होकर सिंघु बॉर्डर तक आया। हमारे यहां भी आंदोलन खड़ा किया गया। हमारे कुछ किसान यहां धरने पर आए हुए हैं, क्योंकि सभी किसान इतनी दूर से नहीं आ सकते हैं लेकिन ओडिशा में नव निर्माण किसान संगठन ने किसानों के साथ मिलकर राज्य के अंदर एक बड़ा आंदोलन खड़ा किया है। यह आंदोलन अब तभी खत्म होगा, जब कृषि कानूनों को रद्द कर दिया जाएगा। उससे कम किसान कुछ भी मानने को तैयार नहीं है। 

कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुआ यह आंदोलन सरकार केवल एक ही तरह से खत्म करा सकती है और वह है, इन कृषि कानूनों को रद्द करना। किसानों को इससे कम कुछ मंजूर नहीं है और यह सरकार को साफ तौर पर बता दिया गया है। इसलिए सरकार जल्द से जल्द किसानों की मांग को मान लेना चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होगा तो आंदोलन चलता रहेगा। अब यह किसी एक राज्य का आंदोलन नहीं है, बल्कि पूरे देश के किसानों का आंदोलन हो गया है। 

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