Coronavirus: शोध के अनुसार नवजात शिशुओं को गंभीर संक्रमण का खतरा कम, मां से अलग करने की जरूरत नहीं

नई दिल्ली। नवजात शिशुओं को गंभीर रूप से संक्रमित होने का खतरा न के बराबर होता है। ब्रिटिश नवजात बच्चों में कोरोना वायरस संक्रमण का परीक्षण करने के बाद खुलासा किया गया। इम्पीरियल कॉलेज लंदन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नुफुल्ड डिपार्टमेंट ऑफ पोपुलेशन हेल्थ का ये पहला शोध है। लांसेट चाइल्ड एंड एडोलेसेंट हेल्थ में शोध के नतीजे प्रकाशित हुए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने कोविड-19 से संक्रमित होनेवाले 29 दिन से कम उम्र के बच्चों को ढूंढा। जिनको अस्पताल में दाखिल कराने की जरूरत पड़ी थी। ये बच्चे मार्च की शुरुआत और अप्रैल के बीच कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस की पहली लहर के दौरान 66 बच्चों के संक्रमण का इलाज अस्पताल में हुआ।

उन्होंने बताया कि ये तादाद 1785 जन्म में से एक या 0.06 फीसद जन्म के बराबर थी। 66 नवजात में से सिर्फ 17 बच्चों के बारे में शक था कि उन्हें संक्रमण जन्म के पहले हफ्ते में मां के जरिए हुआ और 17 में 7 बच्चों में से 7 बच्चे जन्म के बाद फौरन मां से अलग किए जाने के बावजूद संक्रमित हुए।

शोध के नतीजों से इस बात को बल मिलता है कि नवजात को मां के साथ इकट्ठा रखना चाहिए। चाहे मां के संक्रमित होने का शक ही क्यों न हो। छह बच्चों को अस्पताल में रहते कोविड-19 से संक्रमित होने का पता चला और 9 बच्चों की कोविड-19 से मौत हो गई। शोधकर्ताओं ने बताया कि जब डेटा का परीक्षण किया गया तो करीब 90 फीसद बच्चे पूरी तरह संक्रमण से ठीक हो गए और अस्पताल से उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।

शोध के मुताबिक, बड़ी उम्र के 13 फीसद बच्चों की तुलना में 36 फीसद नवजात बच्चों को बीमारी के गंभीर होने पर ऑक्सीजन या आईसीयू की जरूरत ज्यादा पड़ी लेकिन नवजात बच्चों में गंभीर संक्रमण का खतरा न के बराबर पाया गया। शोध में बताया गया कि बहुत कम तादाद में बच्चों को कोविड-19 की बीमारी मां से हुई। इसकी रोशनी में उन्होने समझाया कि अगर मां कोरोना वायरस से संक्रमित होती है, तो उसके बच्चे को जन्म के समय उससे अलग करने की जरूरत नहीं है।

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